हेमवती नन्दन बहुगुणा जयंती : स्वामी रामतीर्थ परिसर निदेशक प्रोफेसर बौड़ाई ने हिमालय पुत्र को किया भावपूर्ण स्मरण, कहा- औजस्वी वक्ता और प्रखर राजनेता थे बहुगुणा

नई टिहरी।

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हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल में स्वर्गीय हेमवंती नंदन बहुगुणा की 103 वीं जयंती मनाई गई।

परिसर निदेशक प्रोफेसर ए.ए. बौड़ाई ने कहा है कि स्वर्गीय बहुगुणा को हिमालय पुत्र के नाम से जाना जाता है। उनके अन्दर स्वाभिमान, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और देश तथा राज्य के प्रति निष्ठा कूट कूटकर भरा थी। कहा कि स्वर्गीय बहुगुणा ही थे, जिन्होंने शिक्षकों एवं राजस्व पुलिस के वेतनमानों की विसंगतियों को सर्वप्रथम दूर कर समाज में शिक्षकों को सम्मान दिलाया तथा अपने मुख्यमंत्री काल में गढ़वाल तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय की स्थापना कर उत्तराखंड के विकास में उच्च शिक्षा के द्वार खोले।

भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनायी

इस दौरान परिसर निदेशक प्रोफेसर ए.ए. बौड़ाई ने कहा कि स्व. बहुगुणा कुशल प्रशासक, औजस्वी वक्ता और प्रखर राजनेता थे। उन्होंने अपनी विलक्षण बौद्धिक प्रतिभा के बल पर भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनायी।

उनके कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे

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निदेशक प्रोफेसर ए.ए. बौड़ाई ने कहा कि हेमवती नन्दन बहुगुणा हिमालय पुत्र थे और उनके इरादे हिमालय जैसे थे। उनके द्वारा किए गए कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।

इस एक दिवसीय संगोष्ठी में परिसर के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर डीएस कैंतुरा एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह नेगी ने कहा है कि स्वर्गीय बहुगुणा ने पर्वतीय विकास मंत्रालय की स्थापना कर पर्वतीय राज्यों के विकास के लिए नए द्वार खोले और स्वर्गीय भोगना के कार्यों को देखते हुए उनकी मृत्यु सन 1989 पर गढ़वाल विश्वविद्यालय का नाम हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय रखा गया और आज इसी का परिणाम है कि गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के राज्यों के छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहा है।

इस अवसर पर प्रोफेसर ममता राणा, डाक्टर हिमानी, डॉ मुस्कान कपूर शोध छात्र महेश भट्ट ने अपने अपने विचार रख कर छात्र छात्राओं एवं शोधार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई।

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इस मौके पर प्रोफेसर मनमोहन सिंह नेगी, पूर्व निदेशक प्रोफेसर डीएस कैंतुरा, प्रोफेसर ममता राणा, डॉ. हिमानी बिष्ट, डॉ. मुस्कान कपूर, डॉ शंकरलाल, डा. एल.आर. डंगवाल, डॉ मुकेश सेमवाल, पुस्तकालय अध्यक्ष हंसराज बिष्ट, लेखाकार डॉ दिनेश नेगी, राकेश कोठारी, डॉ मुकेश भट्ट, डॉ यू एस नेगी एवं छात्र छात्रा तथा शोधार्थी उपस्थित रहे।

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