हिमशिखर ब्यूरो।
हिन्दू नववर्ष यानी की नव संवत्सर की शुरूआत इस बार 2 अप्रैल से होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि के शुरूआत के साथ ही नव संवत्सर भी प्रारंभ हो जाता है। नवसंवत्सर 2079 के साथ ही मांगलिक कार्य भी आरंभ हो जाएंगे।
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस समय नव-संवत्सर 2078 चल रहा है। पुराणों में कुल 60 संवत्सरों का उल्लेख है। बता दें संवत्सर की अवधि 12 महीने की होती है। सूर्य सिद्धांत के मुताबिक संवत्सर गुरु ग्रह के आधार पर निर्धारित है। वृहस्पति 12 साल में सूरज का एक चक्कर पूरा कर लेता है।
हिन्दू नववर्ष शनिवार, 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी। शनिवार से इस नववर्ष शुरू होने से इस वर्ष के राजा शनिदेव हैं और मंत्री बृहस्पति हैं। इस संवत्सर का नाम नल है। शनिवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होने की वजह से माता का वाहन अश्व यानी घोड़ा रहेगा। इस बार नवसंवत् की शुरुआत में सूर्य, शनि और शनिवार का विशेष योग कई साल बाद बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. उदय शंकर भट्ट के अनुसार नववर्ष के राजा शनि की तीसरी पूर्ण दृष्टि मीन राशि में स्थित सूर्य पर रहेगी। सूर्य, शनि के पिता हैं एवं नौ ग्रहों के राजा भी हैं। खुद की मकर राशि में शनि स्थित है। मकर राशि में शनि होने से इसकी तीसरी पूर्ण दृष्टि सूर्य पर और शनिवार से नववर्ष की शुरुआत कई दशकों के बाद हो रही है। इस साल के राजा न्याय के देवता शनि होने के चलते इस नवसंवत्सर के दौरान न्याय के क्षेत्र में कुछ खास स्थिति देखने को मिलेगी, इसी के साथ देश दुनिया मे कई तरह की सामान्य व असामान्य घटनाओं के साथ ही कई विषम परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
हिंदू नववर्ष पर सालों बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नया हिंदू नव संवत्सर की शुरुआत होने जा रही है। वैदिक ज्योतिष गणना के आधार पर इस बार कई साल बाद कई दुर्लभ संयोग बन रहा है। हिंदू नववर्ष पर मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि यानी मकर राशि में, राहु-केतु 18 महीने बार राशि परिवर्तन अपनी उच्च राशि में करेंगे। इसके अलावा शनिदेव जो इस हिंदू नववर्ष के राजा हैं वह अपनी स्वराशि मकर में मौजूद हैं। इसके अलावा हिंदू नववर्ष के दिन रेवती नक्षत्र और तीन राजयोग भी विराजमान होंगे। ऐसे में ज्योतिषीय नजरिए से नव संवत्सर 2079 का महत्व काफी बढ़ गया है।