कैसे समझें कि बृहस्पति जीवन में शुभ है या अशुभ

पंडित उदय शंकर भट्ट

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आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है. ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है. आज आषाढ़ मास की 13 गते और गुरुवार है.

देव गुरु बृहस्पति की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है. वे, दर्शन, ज्ञान, संतान के कारक ग्रह माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा विधिवत करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं, साथ ही जीवन के संकटों का नाश होता है. ऐसे में किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खराब है, तो उन्हें ”बृहस्पति देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए, इसके अलावा उनके लिए उपवास करना चाहिए.

बृहस्पति ग्रह के बारे में कुछ जानकारी

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र और संस्कारों को नियंत्रित करता है. ये शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है. पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.

कैसे समझें कि बृहस्पति जीवन में अशुभ है?

बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं. विवाह एवं संतान प्राप्ति में बाधा. विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों (घर के बड़े, बुजुर्ग एवं पितृ आदि) का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं. घर में बिना कारण कलेश. व्यापार में लगातार नुकसान. पाचन तंत्र कमजोर करने समेत बृहस्पति और भी कई गंभीर समस्याएं देता है. अशुभ बृहस्पति में संतान पक्ष की समस्याए भी परेशान करती हैं. व्यक्ति सामान्यतः निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है और बड़ों का सम्मान नहीं करता है.

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बृहस्पति के शुभ होने के लक्षण क्या हैं?

कुंडली में बृहस्पति के शुभ हो तो व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है,अपार मान सम्मान पाता है. व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से बच जाता है. ऐसे लोग आम तौर पर धर्म, कानून या कोष (बैंक) के कार्यों में देखे जाते हैं. अगर बृहस्पति केंद्र में हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो व्यक्ति की सारी समस्याएं गायब हो जाती हैं.

बृहस्पति से लाभ लेने के लिये क्या उपाय करें?

सर्व प्रथम पितृ पूजा. नित्य प्रातः हल्दी मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें. शिव जी की यथाशक्ति उपासना करें. ब्राह्मण को यथा शक्ति सम्मान और दान देवें. महीने में एक दिन शिव जी का पंचामृत अभिषेक करें. बरगद के वृक्ष में नियमित रूप से जल अर्पित करें. बड़े बुजुर्गों का खूब सम्मान करें. हर बृहस्पतिवार को किसी धर्मस्थान पर जरूर जाएं. इससे कुंडली का बृहस्पति मजबूत होगा. पीपल और केले की जड़ में गाय के घी का दीप जलाएं। गाय को चना, गुड़ और केला खिलाएं.

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नोट: कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा, अंतर्दशा, पर्यंत्र दशा आदि जानकर, स्थिति अनुसार उपाय करें।

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