हिमशिखर खबर ब्यूरो
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह यूनेस्को द्वारा दुर्गा पूजा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में सम्मिलित किए जाने के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय की ओर से आज कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में आयोजित मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना डोना गांगुली और उनकी मंडली ‘दीक्षा मंजरी’ द्वारा एक नृत्य प्रस्तुत किया गया। साथ ही प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी, सुरेन्द्र-सौम्यजीत ने गायन पेश किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बंगाल की दुर्गा पूजा के प्रति पूरे देश की अपार श्रद्धा है, दिसंबर 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप शामिल किया है और यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। अमित शाह ने कहा कि हमारा देश सदियों से एक सांस्कृतिक नदी के रूप में बहता रहा है, हजारों साल से हमारी संस्कृति इटरनल है, इसे कभी भी कोई नही मिटा सकता, इसका संदेश विश्व के लिए है और पूरा विश्व इसका सम्मान करता है।
अमित शाह ने कहा कि आज जब लोग स्त्री सशक्तिकरण की बात करते हैं तो उनको शायद मालूम नहीं है कि हमारे पुराणों और उपनिषदों में लिखा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है और वहीं सुख व समृद्धि होती है। उन्होने कहा कि नारी सशक्तिकरण का जो विचार है वह हजारों साल बाद बलवत्तर होकर फिर से एक बार पश्चिम से यहां आया है। श्री शाह ने कहा कि दुर्गा पूजा नारी की पूजा, शक्ति की पूजा और उसके प्रति श्रद्धा व समाज के सम्मान की द्योतक है। इसलिए कोई भी संस्कृति हो, कोई भी मत हो,भारत में सभी ने शक्ति की पूजा के महत्व को बहुत अच्छे तरीके से स्वीकार किया है और आज मुझे इस बात का आनंद है कि दुर्गा पूजा के शामिल होने से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की संख्या 14 हो गई है। 2017 में कुंभ मेले, 2016 में नवरोज, 2015 में योग और अब दुर्गा पूजा को इसमें सम्मिलित किया गया है।
गृह मंत्री ने कहा कि इन 75 सालों में हमने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। हम मल्टी पार्टी और पार्लियामेंट्री डेमोक्रेटिक सिस्टम को मजबूत कर अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आज लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में हम सफल हुए हैं। उन्होने कहा कि एक जमाने में हमारी सांस्कृतिक विरासत और उसकी विविधताओं को, भाषा, खान-पान और वेशभूषा की विविधता को हमारी कमजोरी के रूप में देखा जाता था। आज 75 साल के बाद हमने दुनिया के सामने सिद्ध कर दिया है कि यह विविधता ही हमारी शक्ति है।
अमित शाह ने कहा कि आज यह कार्यक्रम बंगाल की पवित्र भूमि पर हुआ है। आजादी के आंदोलन की हर लड़ाई शुरू भी बंगाल ने की और निर्णायक लड़ाई भी बंगाल ने ही लड़ी। देश के दोनों राष्ट्रगान इसी बंगाल की भूमि ने दिए हैं, वंदे मातरम और हमारा राष्ट्रगीत दोनों इसी बंगाल की भूमि ने दिए हैं। उन्होने कहा कि देश में जब कोई कल्पना भी नहीं कर सकता सन् 1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने पूरे देश को निशस्त्र कर दिया गया था तब इसी बंगाल ने बम धमाके कर गहरी नींद में सोए भारतीय समाज को जगाने का काम किया था। 14 साल के खुदीराम बोस हाथ में गीता लेकर हंसते-हंसते वंदे मातरम के नारे के साथ फांसी पर चढ़ गये तो उन्होने केवल बंगाल के लोगों को प्रेरणा नहीं दी थी बल्कि बंगाल से लेकर गुजरात तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक विराट भारत के समाज को चेतना देने का काम किया था। नेताजी सुभाष बाबू ने देश की आज़ादी के लिए जो हजारों किलोमीटर की यात्रा उसे हम कभी नहीं भुला सकते।। श्री शाह ने कहा कि आज मैं दोनों कलाकार समूहों को इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए पूरे देश और भारत सरकार की ओर से हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ।