मौसम गड़बड़ होने पर चंद्र दर्शन न हो तो पूर्व दिशा में अर्घ्य देकर भी खोल सकते हैं व्रत

Uttarakhand

हिमशिखर धर्म डेस्क

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज करवा चौथ पर्व मनाया जा रहा है। इसमें महिलाएं दिनभर व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगी। लेकिन देश के कुछ हिस्सों में मौसम की गड़बड़ी के चलते चंद्रमा के दर्शन नहीं हो सकते हैं। इस स्थिति पर पंचांग में दिए गए चंद्रोदय के वक्त के हिसाब से पूर्व दिशा में प्रणाम कर के अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकते हैं।

चंद्रमा न दिखे तब भी हो सकती है पूजा

देश के कुछ हिस्सों में भौगोलिक स्थिति या मौसम की खराबी की वजह से चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, अगर चंद्रमा दिखाई नहीं दे तो पंचांग में बताए गए समय के अनुसार चंद्रमा निकलने की दिशा यानी पूर्व में मुंह रखकर पूजा कर लेनी चाहिए और चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से दोष नहीं लगता है।

सूर्य और चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते बल्कि पृथ्वी के घूमने की वजह से बस दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में ज्योतिषीय गणना की मदद से चंद्रमा के दिखने का समय निकाला जाता है। जिसे आम भाषा में चंद्रोदय कहते हैं। इसलिए, करवा चौथ पर चंद्रमा दिखने के बताए समय के मुताबिक पूजा की जाती है।

महाभारत में चंद्रमा पूजा और व्रत

महाभारत काल से ये व्रत किया जा रहा है। कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने अर्जुन के लिए इस व्रत को किया था। अज्ञातवास में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए। इस व्रत में द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा चंद्रमा के रूप में की थी।

रामचरितमानस में चंद्रमा की पूजा

रामचरितमानस के लंका कांड के मुताबिक, श्रीराम जब समुद्र पार कर लंका पहुंचे तो उन्होंने साथियों से चंद्रमा के बीच मौजूद कालेपन के बारे में पुछा। सबने अपने विवेक के मुताबिक जवाब दिए। श्रीराम ने समझाते हुए कहा कि चंद्रमा और विष समुद्र मंथन से निकले थे। विष चंद्रमा का भाई है। इसलिए उसने विष को अपने ह्रदय में जगह दी है। अपनी विषयुक्त किरणों को फैलाकर वह वियोगी नर-नारियों को जलाता है। यानी पति-पत्नी में अलगाव भी करवाता है। इसलिए पति-पत्नी को इस कामना के साथ चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए कि पति-पत्नी में दूरी न हो। इसी वजह से करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा की जाती है।

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