आज चतुर्थी तिथि को चंद्रदेव के दर्शन करना निषेध माना गया है। इस बार कलंक चतुर्थी और गणेश चतुर्थी अलग अलग तिथि में मनाया जा रहा है। कलंक चतुर्थी 18 सितंबर को है और गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाया जाएगा।
पंडित हर्षमणि बहुगुणा
भाद्रपद माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का समय चंद्र दर्शन के लिए निषेध माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भी चतुर्थी चंद्र दर्शन के कारण मणि चोरी का इल्जाम झेलना पड़ा था। इस कारण से इस दिन चंद्रमा को देखना मना होता है। हर साल भाद्रपद माह की चतुर्थी पर गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पर गणेश पूजन किया जाता है।
इस दिन जो स्री अपने सास-ससुर को गुड़ के तथा नमकीन पुए खिलाती है वह सौभाग्यवती होती है। पति की कामना करने वाली कन्या को विशेषरूप से यह व्रत करना चाहिए।
19 सितम्बर, मंगलवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। भविष्य पुराण के अनुसार ‘भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है। इस दिन किये गये स्नान, दान, उपवास, जप आदि सत्कर्म सौ गुना हो जाते हैं। हालांकि, रात काे चतुर्थी आज होने के कारण चंद्र दर्शन का निषेध है।
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
इस वर्ष आज 18 सितम्बर 2023 सोमवार को चंद्र दर्शन निषेध भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया है। इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगा था।
भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥
जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्भागवत महापुराण के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।
“चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र –“
यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो इस मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिए। मंत्र का २१, ५४ या १०८ बार जप करें। ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र यह है।
“सिंहः प्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः। “
सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत, अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः ७८)। चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है। परन्तु इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के पढ़ने या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता हैै।
कलंक चतुर्थी और गणेश चतुर्थी की सही तिथि
कलंक चतुर्थी और गणेश चतुर्थी तिथि इस बार अलग अलग दिन मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी का पर्व 19 अगस्त दिन मंगलवार को मनाया जाएगा और कलंक चतुर्थी को 18 सितंबर यानी है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत आज दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से हो चुकी है और 19 सितंबर को दोपहर तक रहेगी। उदया तिथि के कारण गणेश चतुर्थी का व्रत 19 सितंबर को किया जाएगा। वहीं कलंक चतुर्थी 18 सितंबर को मनाई जाएगी।