कानपुर।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) जैसे संस्थानों को अपने छात्रों में नवाचार और उद्यमिता की भावना का समावेश करना चाहिए। राष्ट्रपति आज कानपुर में हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एचबीटीयू को तेल, पेंट, प्लास्टिक और खाद्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उसके योगदान के लिए जाना जाता है। इस संस्थान का एक गौरवशाली इतिहास है, जो 20वीं सदी के प्रारंभ से ही देश में हो रहे औद्योगिक विकास से जुड़ा है। एचबीटीयू द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रौद्योगिकी और मानव संसाधनों का कानपुर को ‘मैनचेस्टर ऑफ द ईस्ट’, ‘लैदर सिटी ऑफ वर्ल्ड’ तथा ‘औद्योगिक हब’ के रूप में प्रसिद्धि दिलाने में महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब एचबीटीयू अपनी शताब्दी समारोह मना रहा है, देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव का आयोजन कर रहा है। वर्ष 2047 में जब पूरा देश स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा, तब एचबीटीयू अपनी स्थापना की 125 वर्ष पूरे कर रहा होगा। राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में एचबीटीयू की मौजूदा 166वीं रैंकिंग की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एचबीटीयू के सभी हितधारकों का यह प्रयास होना चाहिए कि वर्ष 2047 तक यह विश्वविद्यालय देश के शीर्ष 25 संस्थानों में स्थान हासिल करे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम करना होगा। उन्हें विश्वास है कि सभी हितधारक एचबीटीयू और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास करेंगे।
भारत में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में केवल वे ही देश सबसे आगे रहते हैं, जो नवाचार और नई तकनीक को प्राथमिकता देते हैं तथा अपने नागरिकों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए लगातार सक्षम बनाते रहते हैं। हमारे देश ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी अपनी साख बढ़ाई है लेकिन हमें अभी भी लंबा सफर तय करना है। इस संदर्भ में एचबीटीयू जैसे संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे तकनीकी संस्थानों को अपने छात्रों में नवाचार और उद्यमिता की भावना का समावेश करना चाहिए। छात्रों को प्रारंभ से ही ऐसा माहौल उपलब्ध कराया जाना चाहिए जिससे वे ‘नौकरी मांगने वाले’ के स्थान पर ‘नौकरी देने वाले’ बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।