कल से प्रारम्भ होगा अतः सिद्धार्थी नामक नव वर्ष का हार्दिक अभिनन्दन एवं सुमधुर स्वागत

हर्षमणि बहुगुणा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवीन सम्वत्सर का प्रारम्भ होता है। इस तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। सत्य युग का आरम्भ भी इसी तिथि से हुआ था, इसी दिन सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त कर विक्रम सम्वत का प्रारम्भ किया था। कहा भी गया है कि—
चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्जं प्रथमेऽहनि।
शुक्लपक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति ।।


यह भी माना जाता है कि प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र, विषकुम्भ योग में नववर्ष का शुभारम्भ हुआ था, आज से नया वर्ष प्रारम्भ हो रहा है , भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के अनुसार इस वर्ष का नाम “सिद्धार्थी” है। 28 मार्च 4 बजकर 27 मिनट पर नया सम्वत प्रारम्भ हो रहा है, उस समय ‌सिंह लग्न में ग्रहों का बल, उस समय दूसरे भाव में केतु आर्थिक संकट, सप्तम भाव में शनि अष्टम भाव में सूर्य के साथ चन्द्रमा, बुध, शुक्र अपनी उच्च राशि में तथा राहु विराजमान हैं दसवें भाव में गुरु महाराज व ग्यारहवें भाव में भूमि पुत्र भौम अवस्थित हैं। आन्तरिक कलह, प्राकृतिक आपदाओं, अग्नि एवं रोगों से सावधानी रखनी होगी। यह वर्ष शासकों को दृढ़ संकल्प लेने में सहयोग करेगा। सिद्धार्थी नामक सम्वत्सर में ‘ईति भीति जनु प्रजा दुखारी’ का डर, विभिन्न देशों के राजाओं में क्षुब्धता, टकराव व बिखराव के कारण युद्ध जैसी स्थिति, कुछ स्थानों में भयंकर वर्षा, बाढ़ आदि, फिर भी जल और अन्न में वृद्धि, अतः सभी भारतीय जन मानस राष्ट्रीय हित का ध्यान अवश्य रखें।

भले ही प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 29 मार्च 2025 सायं 4/27 बजे को हो रहा है परन्तु भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नववर्ष 30 मार्च से प्रारम्भ माना जाएगा। सूर्य देव के राजा व मंत्री होने से इस वर्ष भूमि परिपूर्ण दिखेगी, राजाओं में असन्तोष दिखेगा, अपने बल के प्रभाव से पृथ्वी का उपभोग करेंगे। बेरोजगारी से असन्तोष व्याप्त रहेगा। अतः सरकारों से यह अनुरोध किया जाना आवश्यक है कि बेरोजगारी को कम करने के लिए उपाय/प्रयास किए जाए, अधिक से अधिक रोजगार के पद सृजित करवा कर आम जनमानस को राहत देने का प्रयास किया जाय, यह सन्देश इस वर्ष का राजा व मंत्री सूर्य देव जी दे रहे हैं! अतः सचेष्ट रहने की सलाह दी जाती है, वर्ष के स्वामी की भी यही अपेक्षा हैं। वर्ष का राजा वह होता है जिस वार को नया वर्ष प्रारम्भ हो रहा है, आज संयोग से उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र व ब्रह्म योग में नए वर्ष का प्रवेश हो रहा है। आज के दिन को चैती प्रतिपदा, आरोग्य, गुड़ी, वरूण अवतार आदि प्रतिपदा भी कहा जाता है। बासन्तीय नवरात्र का शुभारम्भ आज से है, अभिजित मुहूर्त तक घट स्थापन श्रेयस्कर रहेगा। मां जगदम्बा से विश्व कल्याण की प्रार्थना करता हूं। विशेष रूप से नव वर्ष सिद्धार्थी (सम्वत्सर) की शुभकामनाएं। सभी मानवों के लिए नया वर्ष शुभ कारी रहे, यह अभिलाषा है। मां पुण्यासिनी (जगदम्बा ) जन धन, मान सम्मान, फल फूल, पशु व अन्न की वृद्धि कर खुशहाली प्रदान करते हुए नव उमंग प्रदान करेंगी। ‘ध्यानार्थ’ एक विशेष अनुरोध है कि हम नव वर्ष को यह लिख कर कि “हिन्दू नव वर्ष” इसे लघुत्व दे देते हैं, अतः अपने महत्व को कम न करें, भारतीय नववर्ष कहा जाय तो समुचित रहेगा, यह नव वर्ष हमारा गौरव है। अतः नव वर्ष की बधाई स्वीकार कीजिए। साथ ही जन मानस की उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामना करता हूं। शुभ वर्ष ! “
इस परिप्रेक्ष्य में मेरा आप सभी से विनम्र आग्रह है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2082 (30 मार्च 2025) रविवार से नववर्ष प्रारम्भ है उस दिन ये कार्य अवश्य करें।
1- पुरुष सफेद वस्त्र व महिलाएं पीला वस्त्र पहनें।
2- यदि पहले न लगाते हों तो उस दिन मस्तिष्क पर तिलक अवश्य लगायें
3- घर पर मिष्ठान्न बनायें।
4- घर की छत पर भगवा झंडा अवश्य लगायें।
5- रात्रि को घर पर घर के बाहर दीप अवश्य जलायें।
6- घर के द्वार को सजाएं।
7- रंगोली बनाएं।
8- फूल और पत्तों के तोरण लगाएं।
9- पहले तो अधिक अन्यथा कम से कम 11 लोगों को मिलकर या फोन कॉल पर नववर्ष की शुभकामनाएं अवश्य दें और उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
क्या सनातन हिंदू वर्ष विक्रम संवत 2082 को धार्मिक कार्यक्रम द्वारा हर्षोल्लास से संपन्न कर सकते है? अवश्य और आने वाली पीढी को हिंदू नववर्ष से परिचित करायें! सनातन की ध्वजा लहराएं।
नूतन वर्ष 2082 की हार्दिक बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाएं।
(हर्ष मणि बहुगुण)

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