श्रीकृष्ण ने जन्म के लिए चुना था रात्रि 12 बजे का समय और बुधवार का दिन, जानें क्या था कारण

Uttarakhand

भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए कृष्ण अवतार लिया था, जिसकी आकाशवाणी पहले ही हो गई थी। जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे कारगार के सभी ताले टूट गए थे और कारगार की सुरक्षा में खड़े सभी सैनिक गहरी नींद में सो गए। आकाश में घने बादल छा गए, तेज बारिश होने लगी और बिजली कड़कने लगी। परन्तु क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने जन्म का समय आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में ही क्यों चुना? इसके पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां हम ऐसी ही कई मान्यताओं के बारे में पढ़ेंगे जिनसे पता लगेगा कि क्यों कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की मध्यरात्रि में, रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि को हुआ था। इन तथ्यों के बारे में बता रहे हैं जाने-माने साहित्यकार काका हरिओम्-


अष्टमी तिथी को इसलिए हुआ जन्म
सनातन परंपरा में आठ को पूर्ण अंक माना गया है। कृष्ण अवतार भगवान विष्णु का आठवां ही अवतार था। वह अपनी समस्त सोलह कलाओं सहित जन्मे थे जो उन्हें पूर्ण अवतार बनाता है। इसके अतिरिक्त अष्टमी पूर्णिमा तथा अमावस्या के ठीक बीच का मध्यभाग है अर्थात् दोनों पक्षों का ठीक मध्य।

चन्द्रवंश को ही क्यों चुना
पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रदेव की इच्छा थी कि भगवान विष्णु चंद्रवंश में अवतार लेकर उन पर अनुग्रह करें। अत: उन्होंने चंद्रवंश में जन्म लिया।

रोहिणी नक्षत्र को इसलिए चुना
ज्योतिष के अनुसार रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं, जिस कारण श्री कृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था।ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो रोहिणी नक्षत्र को आध्यात्म से जुड़ा नक्षत्र माना गया है। इसके अधिपति सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति असाधारण रूप से प्रतिभाशाली होता है। वह आध्यात्मिक जीवन जीने वाले, मनमोहक, दयालु तथा महान गुणों से संपन्न होता है। यही कारण था कि अपने अन्य अवतारों की तुलना में कृष्ण केवल एक रूप में नहीं दिखाई देते वरन वह कभी बालकृष्ण के रूप में नटखट लीला करते हैं तो कभी गोपियों के साथ रासलीला और कभी अर्जुन के सारथी बन कर महाभारत में कौरव सेना का नाश करते हैं।

रात्रि-बुधवार को जन्म के लिए इसलिए चुना

द्वापर युग में श्री कृष्ण ने आधी रात में जन्म लिया था। भगवान श्रीकृष्ण के अगर पूर्वजों की बात करें तो पुराण के अनुसार उनके पूर्वज चंद्रवंशी थे, जो कि बुध के बेटे हैं। इसी वजह से भगवान श्री कृष्ण ने अपने जन्म के लिए बुधवार का दिन चुना।कहते हैं कि चंद्रमा रात में निकलता है और उन्होंने अपने पूर्वजों की उपस्थिति में जन्म लिया था।

इसके अलावा भगवान कृष्ण के माता-पिता को कारागार में बंद रखा गया था ताकि उनकी सभी आठ संतानों का वध कर कंस स्वयं को अमर बना सकें। ऐसे में रात्रि का समय ही जन्म के लिए सर्वोत्तम था। सभी लोग सो रहे थे, लोगों का आवागमन कम से कम था, ऐसे में वसुदेव के लिए कृष्ण को कारागार से बाहर निकालकर गोकुल ले जाना आसान हो गया था, यदि भगवान का जन्म दिन में हुआ होता तो वह इतनी सहजता से कृष्ण को नहीं ले जा पाते।

पुराणों के अनुसार उस दौरान कारागार के द्वार अपने आप खुल जाते हैं और कृष्ण जी के पिता उन्हें एक टोकरी में रखकर सुरक्षित जगह पहुंचा देते हैं। उस समय देवताओं ने उनके जन्म पर स्वर्ग से फूल बरसाए थे और साथ ही धरती से लेकर इंद्रलोक तक हर्ष का वातावरण छा गया था।

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