जन्माष्टमी 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत आज, कई जन्मों के पापों से मिलती है मुक्ति

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

Uttarakhand

आज 06 सितम्बर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत है, रोहिणी नक्षत्र, बुधवार, अष्टमी तिथि, भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, इन सभी शुभ योगों में श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में ठीक बारह बजे हुआ था। अतः हम सभी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत उपवास से इन लाभों से अपने को लाभान्वित करें।

‘ बुधवारी अष्टमी ‘
06 सितम्बर 2023 बुधवार को (दोपहर 03/37 से 07 सितम्बर सूर्योदय तक) बुधवारी अष्टमी है। गुरु वार को सायं 04/12 बजे तक अष्टमी तिथि हैं। मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु यह विशेष तिथि हैं — सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

जन्माष्टमी व्रत की महिमा
06 सितम्बर 2023 बुधवार को जन्माष्टमी (स्मार्त) गृहस्थों का।
1– भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिरजी को कहते हैं : “बीस करोड़ एकादशी व्रतों के समान अकेला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत पुण्य दायक हैं।”
2– धर्मराज सावित्री से कहते हैं : “भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।”

यह चार रात्रियां विशेष पुण्य प्रदान करनेवाली हैं
1-)दिवाली की रात 2-) महाशिवरात्रि की रात
3-) होली की रात 4-) कृष्ण जन्माष्टमी की रात। इन विशेष रात्रियों में किया जप, तप , जागरण बहुत पुण्य प्रदायक है। शिवपुराण में वर्णन है कि — श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा जाता है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान,नाम अथवा मन्त्र जपते हुए जागने से संसार की मोह-माया से मुक्ति मिलती है। जन्माष्टमी का व्रत व्रतराज है। इस व्रत का पालन करना चाहिए।

जन्माष्टमी व्रत की महिमा
जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है। इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं। जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है। ‘वायु पुराण’ में और अन्य पुराणों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ – ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियों का उद्धार कर लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें ।

बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग या रोग ग्रस्त लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें । जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है। उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है। जिसको ‘क्लीं कृष्णाय नमः’ मंत्र का और अपने ‘गुरु मंत्र’ का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।

‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचाने वाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है।

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