PMO पहुंचा जोशीमठ का मामला: जोशीमठ मामले पर पीएम मोदी और सीएम धामी के बीच हुई बात, थोड़ी देर में PMO की बैठक

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई दिल्ली: जोशीमठ में जानमाल की सुरक्षा के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। इस बीच जोशीमठ पर पीएमओ भी नजर बनाए हुए हैं। जानकारी के अनुसार, जोशीमठ पर पीएमओ आज एक उच्च स्तरीय बैठक करेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार को कहा कि वह आज दोपहर एक उच्च स्तरीय बैठक करेगा।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा आज प्रधानमंत्री कार्यालय में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा करेंगे। जोशीमठ के जिला पदाधिकारी भी इस मुद्दे पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मौजूद रहेंगे। वीसी के माध्यम से उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी भी समीक्षा में शामिल होंगे।

जोशीमठ के हालातों पर पीएम मोदी और सीएम धामी में हुई बात

जोशीमठ आपदा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर हालातों की जानकारी ली है। वर्तमान में चल रहे जोशीमठ जमीन धंसने के मामले पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विस्तृत जानकारी दी है।

जोशीमठ में धंस रही जमीन

आपको बता दें कि उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन नगर जोशीमठ में जमीन धंस रही है और इससे घरों में दरारें आती जा रही हैं। जोशीमठ में घर ढह रहे हैं और लोगों के सामने इस प्राकृतिक आपदा के कारण आसरा छिन जाने का संकट है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शनिवार को राज्य के चमोली जिले के धंसते कस्बे जोशीमठ का दौरा करने पहुंचे थे। प्रभावित परिवारों से मुलाकात के दौरान सीएम भावुक हो गए। सीएम धामी ने बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक हर उम्र के लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जाना। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश सभी को सुरक्षित बचाने की है। जरूरी इंतजाम के लिए तैयारियां की जा रही हैं।

सर्वेक्षण चल रहा

जोशीमठ की जमीन में दरारें बढ़ती जा रही हैं। आपता प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा के नेतृत्व में आठ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने स्थिति का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को भेज दी है। जोशीमठ के 25 फीसदी इलाके इस भू धंसाव से प्रभावित बताए जा रहे हैं। इमारतों और अन्य स्ट्रक्चर में नुकसान की तीव्रता का पता लगाने के लिए भी सर्वेक्षण चल रहा है।

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