- दांडी कांवड़ यात्रा को सबसे कठिन कांवड़ यात्रा माना जाता है
- कांवड़ यात्रा को बिना स्नान के स्पर्श नहीं किया जाता
- 15 जुलाई रात्रिकाल 8:30 बजे से शुरू होगा जलाभिषेक
- 16 जुलाई रात्रिकाल 10:00 बजे तक हो सकेगा जलाभिषेक
हिमशिखर धर्म डेस्क
सनातन हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। बता दें कि चंद्र माह के अनुसार सावन मास 4 जुलाई से आरंभ हो गया था, जो 31 अगस्त हो समाप्त हो जाएगा। हालांकि, पहाड़ में संक्रांति (सौर माह) के अनुसार 17 जुलाई सोमवार से शुरू हो रहा है। ज्योतिषों के अनुसार ऐसा संयोग करीब 19 सालों के बाद बन रहा है जब सावन मास में अधिक मास पड़ रहा है। जानिए इस बार कांवड़ यात्रा का जल कब शिवलिंग में चढ़ाया जाएगा।
पवित्र नदियों के जल से करते है शिवलिंग का जलाभिषेक
कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तगण बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए गोमुख, गंगोत्री, हरिद्वार, ऋषिकेश सहित अन्य जगहों से पवित्र जल भरकर लाते हैं। इसके बाद पद यात्रा करते हुए अपने नगर या फिर प्रसिद्ध मंदिरों में जल चढ़ाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
श्रावण में कांवड़ यात्रा शुरू होती है जो गुरु पूर्णिमा के बाद कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर कृष्ण चतुर्दशी तक चलती है, इस वर्ष आज 15 जुलाई सायंकाल 8:30 बजे से जलाभिषेक किया जाएगा। जो 16 जुलाई रात 10 बजे तक किया जा सकता है। खास बात यह जलाभिषेक की शिवरात्रि का मुख्य पुण्य काल आज रात्रि को ही है। जो किसी कारण आज रात्रि को जल नहीं चढ़ा पाएंगे, ऐसे लोगों को मायूस होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। वे लोग कल 16 जुलाई तक जल चढ़ा सकते हैं। वहीं, जो भक्त मौसम के कारण कांवड़ लेने नहीं जा पाएं हैं, वो अपने घर के जल से ही शिवजी का जलाभिषेक जरूर करेंगे। सभी जानते हैं कि शिवजी बड़े दयालु हैं। भोलेनाथ तो सब कुछ देने वाले हैं, वो केवल भाव के भूखे हैं।
सावन शिवरात्रि 2023: तिथि और समय
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 15 जुलाई 2023 – रात्रि 08:32 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 16 जुलाई 2023 – रात्रि 10:08 बजे
निशिता काल मुहूर्त – 16 जुलाई 2023, प्रात: 12.07 – प्रात: 12.48
शिवरात्रि पारण समय – 16 जुलाई 2023 – प्रातः 05:34 बजे से अपराह्न 03:51 बजे तक