आज का पंचांग: प्रकृति एक पाठशाला

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आश्विन माह नवरात्र षष्ठी है।

यूं तो हनुमान जी की स्तुति अलग-अलग ढंग से भक्तों ने की है, लेकिन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में एक जगह बहुत सुंदर पंक्ति लिखी है। उत्तरकांड में वो लिखते हैं- ‘हनुमान सम नहिं बड़भागी। नहिं कोउ राम चरन अनुरागी ॥’ श्रीराम बैठे हुए थे, हनुमान जी उनको पंखा कर रहे थे। यह दृश्य देख शिव जी ने पार्वती से कहा, हनुमान के समान न तो कोई बड़भागी है और न कोई राम चरणों का प्रेमी है।

शिव जी ने अनूठी बात बोली- गिरिजा, जिनके प्रेम और सेवा की स्वयं प्रभु ने अपने मुख से बार-बार बड़ाई की है। क्या ऊंचाई रही होगी हनुमान जी की, जिनका यश श्रीराम ने स्वयं गाया। हमारे परिवारों में भी हर सदस्य बड़भागी हो सकता है। हम उसके भीतर छुपी योग्यता को पकड़ें।

मंजिल पर तो सभी आनंद उठाते हैं, पर हनुमान जी यात्रा में भी आनंद लेते हैं। चलना परिश्रम है, पहुंचना विश्राम है। हनुमान जी का व्यक्तित्व परिश्रम के समय भी प्रसन्न रहता है और विश्राम में आनंदित रहता है।

आज का विचार

हमारे जीवन में कई क्लेशों का केवल एक ही कारण है वह है स्वभाव। कुछ ना हो तो अभाव सताता है। कुछ हो तो भाव सताता है और सब कुछ हो तो फिर स्वभाव सताता है। बुरे स्वभाव से हम आसान चीजों को भी क्लिष्ट बना लेते हैं!

आज का भगवद् चिन्तन

प्रकृति एक पाठशाला

प्रकृति का कण-कण मनुष्य जीवन को एक प्रेरणा प्रदान करता है। ये संपूर्ण प्रकृति एक पाठशाला ही तो है। बिना प्रेरणा लिए जीवन प्रेरक नहीं बन सकता है। हम दूसरों को प्रेरणा दें उससे पूर्व यह आवश्यक हो जाता है कि हम दूसरों से प्रेरणा लेना भी सीखें। जिसने अपने जीवन में दूसरों से प्रेरणा लेने का प्रयास किया उसका स्वयं का जीवन भी एक दिन समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है।

प्रेरणा पर्वत से लेनी चाहिए जिसके मार्ग में अनेक आंधी और तूफान आते हैं पर उसके स्वाभिमानी मस्तक को नहीं झुका पाते। प्रेरणा लहरों से लेनी चाहिए जो गिरकर फिर उठ जाती हैं और अपने लक्ष्य तक पहुँचे बिना कहीं रुकती नहीं हैं। प्रेरणा बादलों से लेनी चाहिये जो समुद्र से जल लेते हैं और सूखे रेगिस्तान में बरसा देते हैं। प्रेरणा वृक्षों से लेनी चाहिए, फल लग जाने के बाद जिनकी डालियाँ स्वतः झुक जाया करती हैं।

  1. विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – चैत्र
  4. अमांत – चैत्र

तिथि

  1. शुक्ल पक्ष दशमी   – Apr 06 07:23 PM – Apr 07 08:00 PM
  2. शुक्ल पक्ष एकादशी   – Apr 07 08:00 PM – Apr 08 09:13 PM

नक्षत्र

  1. पुष्य – Apr 06 05:32 AM – Apr 07 06:24 AM
  2. आश्लेष – Apr 07 06:24 AM – Apr 08 07:55 AM

करण

  1. तैतिल – Apr 06 07:23 PM – Apr 07 07:37 AM
  2. गर – Apr 07 07:37 AM – Apr 07 08:00 PM
  3. वणिज – Apr 07 08:00 PM – Apr 08 08:32 AM

योग

  1. धृति – Apr 06 06:55 PM – Apr 07 06:18 PM
  2. शूल – Apr 07 06:18 PM – Apr 08 06:10 PM

वार

  1. सोमवार

सूर्य और चंद्रमा का समय

  1. सूर्योदय – 6:17 AM
  2. सूर्यास्त – 6:40 PM
  3. चन्द्रोदय – Apr 07 2:02 PM
  4. चन्द्रास्त – Apr 08 3:32 AM

अशुभ काल

  1. राहू – 7:50 AM – 9:23 AM
  2. यम गण्ड – 10:56 AM – 12:28 PM
  3. कुलिक – 2:01 PM – 3:34 PM
  4. दुर्मुहूर्त – 12:53 PM – 01:43 PM, 03:22 PM – 04:12 PM
  5. वर्ज्यम् – 08:00 PM – 09:42 PM

शुभ काल

  1. अभिजीत मुहूर्त – 12:04 PM – 12:53 PM
  2. अमृत काल – 05:29 AM – 07:11 AM
  3. ब्रह्म मुहूर्त – 04:40 AM – 05:28 AM

आनन्दादि योग

  1. प्रजापति (धाता) Upto – 06:24 AM
  2. सौम्य

सूर्या राशि

  1. सूर्य मीन राशि पर है

चंद्र राशि

  1. चन्द्रमा कर्क राशि पर संचार करेगा (पूरा दिन-रात)

चन्द्र मास

  1. अमांत – चैत्र
  2. पूर्णिमांत – चैत्र
  3. शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) – चैत्र 17, 1947
  4. वैदिक ऋतु – वसंत
  5. द्रिक ऋतु – वसंत

Auspicious Yogas

  1. सर्वार्थसिद्धि योग – Apr 08 06:16 AM – Apr 08 07:55 AM (Ashlesha and Tuesday)
  2. रवि पुष्य योग – Apr 06 06:18 AM – Apr 07 06:17 AM (Pushya and Sunday)
  3. सर्वार्थसिद्धि योग – Apr 06 06:18 AM – Apr 07 06:24 AM (Pushya and Sunday)

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