सुप्रभातम् : सफलता न मिलने तक प्रयास करते रहना चाहिए

Uttarakhand

शुक्रवार, 15 अक्टूबर को अश्विन मास के शुक्ल की पक्ष की दशमी तिथि है, इस दिन दशहरा मनाया जाएगा, रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। त्रेता युग में इसी तिथि पर श्रीराम ने रावण का वध किया था। रामायण में रावण ने देवी का सीता का हरण किया और अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था। हनुमान जी ने देवी सीता को देखा नहीं था, इस कारण लंका में सीता जी की खोज करना बहुत मुश्किल काम था, हनुमान जी ने अपनी सूझबूझ से इस काम को पूरा किया था।

सुंदरकांड में देवी सीता की खोज में हनुमान जी लंका पहुंच गए थे। रावण के महल के साथ ही लंकावासियों के घरों में, अन्य महलों में, लंका की गलियों में भी हनुमान जी ने सीता को खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। बहुत कोशिशों के बाद भी जब उन्हें देवी सीता नहीं मिलीं तो वे कुछ पल के लिए निराश हो गए थे।

हनुमान जी ने सीता जी को कभी देखा नहीं था, लेकिन वे देवी के गुणों को जानते थे। वैसे गुण वाली कोई महिला उन्हें लंका कहीं दिखाई नहीं दीं। इस असफलता पर वे कई तरह की बातें सोचने लगे। उनके मन में विचार आया कि अगर असफल होकर लौट जाऊंगा तो वानरों के प्राण संकट में आ जाएंगे, श्रीराम भी सीता के वियोग में प्राण त्याग देंगे, उनके साथ लक्ष्मण और भरत का भी यही हाल होगा। बिना राजा के अयोध्यावासियों के लिए परेशानियां बढ़ जाएंगी। इन सब परेशानियों से बचने के लिए मुझे एक बार फिर से सीता की खोज शुरू करनी चाहिए।

Uttarakhand

इतना सोचने के बाद हनुमान जी फिर ऊर्जा से भर गए। हनुमान जी ने अपनी लंका यात्रा की समीक्षा की और फिर नई योजना बनाई। हनुमान जी ने सोचा कि मुझे देवी की खोज ऐसी जगह करनी चाहिए, जहां आम राक्षसों का प्रवेश वर्जित हो। ऐसा सोचते ही उन्होंने सारे राजकीय उद्यानों और राजमहल के आसपास सीता की खोज शुरू कर दी। अंत में सफलता मिली और हनुमान ने सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया। हनुमान जी के एक विचार ने इस यात्रा को सफल बना दिया।

Uttarakhand

सीख – इस प्रसंग से हमें सीखना चाहिए कि जब तक सफलता न मिल जाए, तब तक हमें प्रयास करते रहना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ काम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *