नई दिल्ली
किरेन रिजिजू ने आज विधि और न्याय मंत्री का कार्यभार मंत्रालय को वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में संभाल लिया। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए विधि और न्याय मंत्री ने कहा कि विधि और न्याय मंत्री के रूप में काम करना मेरे लिए बड़ा दायित्व है। मेरी प्राथमिकता जनाकांक्षा पूरी करनी होगी और मैं हमेशा पारदर्शिता रखूंगा।
विधि और न्याय मंत्री का प्रभार संभालने से पहले रिजिजू मई 2019 से जुलाई 2021 तक युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और मई 2014 से मई 2019 तक अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री थे।
राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार से आए रिजिजू अपने विद्यार्थी जीवन से ही सावर्जनिक कार्यों में दिलचस्पी लेने लगे। 31 वर्ष की आयु में वह खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के सदस्य नियुक्त (2002-04)किए गए। वह 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए देश के बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में से एक पश्चिम अरुणाचल प्रदेश निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए।
संसद सदस्य के रूप में रिजिजू संसद और संसद के बाहर संसदीय कार्यों में भागीदारी के कारण अनुभवी सहयोगियों का सम्मान पाने लगे। 14वीं लोकसभा की अनेक प्रमुख समितियों में उन्होंने सेवा दी। सदन में 90 प्रतिशत उपस्थिति के रिकार्ड, प्रमुख बहसों में नियमित रूप से भागीदारी तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के प्रश्न उठाने के उनके योगदान को देखते हुए मीडिया ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ युवा सांसद की संज्ञा दी।
देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित क्षेत्रों में से एक में बढ़ने के बावजूद उन्होंने जीवन के अवसरों को अपनाया है और आज भारत सरकार के भीतर और जनता की नजरों में पूर्वोत्तर की आवाज के रूप में व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं।वह राष्ट्रीय मुख्यधारा के साथ पूर्वोत्तर के अधिक एकीकरण के भावुक हिमायती रहे हैं। रिजिजू 16 मई 2014 को 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। उनके कार्य को मान्यता देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें 26 मई, 2014 को गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में मंत्रिपरिषद में शामिल किया था।