- 23 जुलाई को पूर्णिमा का व्रत
- स्नान-दान की पूर्णिमा 24 जुलाई को मनायी जाएगी
- पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं
हिमशिखर धर्म डेस्क
पं. उदय शंकर भट्ट
गुरु पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल पूर्णिमा तिथि 23 और 24 जुलाई दो दिन आ रही है। ऐसे में पहले दिन आज पूर्णिमा का व्रत और दूसरे दिन कल स्नान-दान करके पुण्य प्राप्त किया जा सकता है ।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजन का विधान है। शास्त्रों में गु का अर्थ अंधकार (अज्ञान) और रु का अर्थ है प्रकाश (ज्ञान)। इसलिए कहा जाता है कि गुरू अज्ञान रूपी अंधकार का ज्ञान रूपी शलाका से निवारण कर देते हैं। अर्थात् अधंकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है। गुरु के इसी महत्व को याद करने के लिए हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म दिन भी मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव को आदिदेव और आदिगुरु कहा जाता है।
दो दिन आ रही पूर्णिमा
इस साल पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई सुबह 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई प्रातः 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। ऐसे में शास्त्रानुसार आज 23 जुलाई को पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा। 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और स्नान-दान किया जाएगा। दरअसल, पूर्णिमा के व्रत पर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा और स्नान-दान किया जाता है।