हिमशिखर धर्म डेस्क
भारत में कई ऐसी जगह है जो अपने दामन में कई रहस्यों को समेटे हुए है ऐसी ही एक जगह है वृंदावन स्थित निधि वन जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।
रोंगटे खड़े कर देती है निधिवन की कहानी
कृष्ण की नगरी मथुरा को प्रेम की भूमि कहा जाता है। वह धरा, जहां कण-कण में श्रीकृष्ण का वास है, लेकिन यहीं एक ऐसी जगह भी है जो कलयुग में होते हुए भी द्वापर युग में ले जाती है। कहते हैं कि यहां रात के समय में जाना मना है। जो गया या वह या तो अंधा हो गया या फिर कुछ बताने लायक ही नहीं रहा। श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में जन्मभूमि से बस कुछ ही दूर वृंदावन में स्थित है निधिवन। यह एक ऐसा रहस्यमयी वन है, जिसके बारे में वर्षों तक शोध हुआ, लेकिन यहां के रहस्यों के पीछे का तोड़ निकालने में कोई कामयाब नहीं हो सका। कहते हैं कि यहां खुद श्रीकृष्ण अपनी प्रिय राधा रानी और गोपियों के संग रास रचाने आते हैं और हर रात लीला करते हैं।
सदियों से चली आ रही है यह परंपरा
निधिवन में जहां दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, वहीं सूर्यास्त के बाद किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता। यहां ताले लगा दिए जाते हैं और यह प्रथा अभी की नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही है।
सदियों पुराने सिलसिले को कोई नहीं समझ पाया…
आज आप जमीन पर बैठकर ब्रह्मांड देख सकते हैं, लेकिन निधिवन के जंगल की रात नहीं। इंसान क्या, यहां जानवर भी रात को नहीं रुकते. यहां तक कि श्रीकृष्ण की मुरली की धुन से बंधे बंदर भी रात होते ही निधिवन छोड़ देते हैं। आज तक कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो निधिवन की रात का गवाह हो सके। जिसने भी इस राज़ को जाना, वो इसे बताने के काबिल ही नहीं रहा है।
रासलीला
वैसे तो शाम होते ही निधिवन बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह अंधा हो जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि आरती की पवित्र प्रक्रिया के बाद, मंदिर के आसपास किसी को भी जाने की इजाजत नहीं होती। ऐसा भी कहा जाता है कि रात के समय मंदिर में रह जाता है, तो या तो वो अंधा हो सकता है या फिर सुनने की क्षमता को खो सकता है।
रंगमहल
निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ जिसके बारे में मान्यता है की रोज़ रात यहाँ पर राधा और कन्हैया आते है। पवित्र उद्यान में एक छोटा कमरा है जिसमें प्रतिदिन भगवान कृष्ण के लिए चंदन का एक बिस्तर तैयार किया जाता है। पलंग के पास चांदी का एक गिलास पानी, पान के पत्तों के साथ रखा जाता है। साथ ही दांतों को साफ करने के लिए दो ब्रश, साड़ी, चूड़ियां भी वहां रखी जाती हैं। सुबह जैसे ही दरवाजे खोले जाते हैं, पुजारी को पानी का एक खाली गिलास, आधा खाया हुआ पान और बिस्तर इस स्थिति में मिलता है जैसे कि उसमें कोई सोया हो। बंदर भी रात में आरती के बाद निधिवन छोड़कर चले जाते हैं। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।
पेड़ बढ़ते है जमीन की और
निधि वन के पेड़ भी बड़े अजीब है जहाँ हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है वही निधि वन के पेड़ो की शाखाएं नीचे की और बढ़ती है। हालात यह है की रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है।
तुलसी के पेड़ बनते है गोपियाँ
निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए। इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता।
वन के आसपास बने मकानों में नहीं हैं खिड़कियां
वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता।
जय श्री कृष्ण-राधा की जय हो 🙏 निधि वन वृन्दावन की यात्रा कब हो सकेगी और कब निधि वन को देखने का सौभाग्य संयोग बनेगा यह सब कृष्ण – राधा की अनुमति पर निर्भर है , अनुमति की प्रतीक्षारत:- केपी सकलानी