हिमशिखर धर्म डेस्क
पं. उदय शंकर भट्ट
गुरु पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल पूर्णिमा तिथि आज बुधवार को है। आज पूरे दिन स्नान-दान करके पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजन का विधान है। शास्त्रों में गु का अर्थ अंधकार (अज्ञान) और रु का अर्थ है प्रकाश (ज्ञान)। इसलिए कहा जाता है कि गुरू अज्ञान रूपी अंधकार का ज्ञान रूपी शलाका से निवारण कर देते हैं। अर्थात् अधंकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है। गुरु के इसी महत्व को याद करने के लिए हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म दिन भी मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव को आदिदेव और आदिगुरु कहा जाता है।
क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने 18 पुराणों की रचना की थी। व्यासजी ने मानव कल्याण के लिए वेदों को सरल बनाते हुए उनका विस्तार भी किया था। उन्होंने महाभारत के साथ-साथ श्रीमद्भागवत जैसे पुराणों की रचना भी की थी। इसी कारण इस तिथि को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।