देहरादून
स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक है। लता मंगेशकर ने जो गाने गाए उन्हें पूरी दुनिया में पसंद किया गया। उनके गीत कई दशकों तक सिरमौर रहे तो उत्तराखंड से भी उनका गहरा नाता रहा है। 1988 में गढ़वाली फिल्म रैबार में उनका ‘मन भरमैगे मेरी सुध-बुध ख्वे गे’ विशेष रूप से याद आएगा। उत्तराखंड के संगीत को लता मंगेशकर ने यह बेशकीमती तोहफा दिया। जो 1990 में रिलीज हुई गढ़वाली फ़िल्म रैबार की सबसे बड़ी पहचान एक गीत बन गया।
रैबार फिल्म में गाये इस गीत की रिकार्डिंग लता मंगेशकर द्वारा 4 अक्टूबर 1988 के दिन की गयी थी। रिकार्डिंग खत्म होने के बाद जब लता मंगेशकर को निर्माता किशन पटेल ने एक चैक दिया तो उन्होंने इसे ख़ुद न लेकर बच्चों की एक संस्था को डोनेट करवा दिया।
लता मंगेशकर की आवाज में गाये गये इस गीत के बोल देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखे और कुंवर सिंह रावत यानी कुंवर बावला ने इसे संगीत दिया। लता मंगेशकर की आवाज में रिकार्ड यह एकमात्र गढ़वाली गीत है। गीत के बोल बेहद सामान्य गढ़वाली में लिखे गये थे।