नई दिल्ली
पी 1135.6 वर्ग के सातवें भारतीय नौसेना फ्रिगेट को रूस के कालिनिनग्राद स्थित यानतर शिपयार्ड में लॉन्च किया गया। उसके शुभारंभ समारोह में मास्को स्थित भारतीय राजदूत डी. बाला वेंकटेश वर्मा, रूसी संघ के वरिष्ठ गणमान्य और भारतीय नौसेना के अधिकारी उपस्थित थे। समारोह के दौरान दात्ला विद्या वर्मा ने पोत का नाम ‘तुशील’ रखा। संस्कृत में ‘तुशील’ का अर्थ ‘रक्षात्मक कवच’ होता है।
भारत और रूसी संघ की सरकारों के बीच समझौते के आधार पर परियोजना 1135.6 के तहत दो पोत रूस और दो पोत भारत में बनाये जायेंगे। भारत में इन पोतों का निर्माण मेसर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में किया जायेगा। दो पोतों के निर्माण की संविदा पर रूस और भारत के बीच 18 अक्टूबर को हस्ताक्षर किये गये थे।
इन जलपोतों का निर्माण भारतीय नौसेना की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, ताकि वायु, सतह और उप-सतह जैसे सभी तीन आयामों में समुद्री जंग के सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। ये जलपोत भारत और रूस के उन्नत हथियारों और संवेदी उपकरणों से लैस होंगे, जो अपनी समुद्री सीमा के भीतर और खुले सागर में अकेले तथा पूरी नौसेना के साथ सक्रिय रूप से हिस्सा लेने में सक्षम होंगे। इनमें “स्टेल्थ टेक्नोलॉजी” लगी होगी, जिसके कारण वे निचले स्तर पर काम करने वाले रेडार से बच जायेंगे तथा गहरे पानी के भीतर किसी प्रकार का शोर भी नहीं करेंगे।
जहाजों को भारत से प्राप्त प्रमुख उपकरणों से लैस किया जा रहा है, जैसे सहत से सतह पर मार करने वाले मिसाइल, सोनार प्रणाली, सतह की निगरानी करने वाले रेडार, संचार-तंत्र और पनडुब्बी रोधी प्रणाली। इनके अलावा रूस के बने सतह से सतह पर वार करने वाले मिसाइल और तोपें-बंदूकें भी लगाई जा रही हैं।
यानतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद के महानिदेशक श्री इल्या समारिन ने बताया कि शिपयार्ड के सामने जटिल पोत निर्माण परियोजना को पूरा करने का चुनौतीपूर्ण कार्य था। वर्तमान महामारी के हालात की चुनौतियां होने के बावजूद जलपोतों का निर्माण जारी रखा गया और उसके लिये नये तरह के समाधान निकाले गये। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लगातार समर्थन मिलता रहा। उन्होंने भारत सरकार को इसके लिये धन्यवाद दिया और यह प्रतिबद्धता दोहराते हुये कहा कि संविदा में उल्लिखित समय-सीमा के भीतर जलपोतों को सौंप दिया जायेगा।
मास्को स्थित भारत के राजदूत डी. बाला वेंकटेश वर्मा ने भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग की लंबी परंपरा का उल्लेख किया। उन्होंने यानतर शिपयार्ड का शुक्रिया अदा किया कि कोविड-19 की चुनौतियों का मुकाबला करते हुये शिपयार्ड ने तय समय-सीमा के भीतर जलपोत सौंप दिया है।