“यह ‘सभी के लिए स्वच्छ हवा’ को एक सहभागी मिशन बनाने का समय है। वायु गुणवत्ता में सुधार करने के प्रयासों नेपूरे देश के शहरों में बेहतर वायु गुणवत्ता अर्जित करने में सकारात्मक रुझान दर्शाया है। लेकिन अगर हम वही अर्जित करना चाहते हैं जो हम चाहते हैं, तो इसकी चाबी’जनभागीदारी’ या सहभागी शासन में है।” यह बात केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज चेन्नई में आयोजित दक्षिणी क्षेत्र में शामिल तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी, दमन एवं दीव और दादर और नगर हवेली की संवेदीकरण एवं समीक्षा कार्यशाला- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम-एनसीएपी और एक्सवी-एफसी प्लस सिटीज चैलेंज फंड (एक्सवी-एफसी एमपीसीसीएफ) के उद्घाटन के दौरान कही।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, तमिलनाडु सरकार के पर्यावरण मंत्री शिव वी. मेयनाथन, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव लीना नंदन, अपर सचिव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नरेश पाल गंगवार ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर श्री भूपेंद्र यादव ने तमिलनाडु राज्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि 30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले इसके चेन्नई, मदुरै और त्रिची शहरों की वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों के भीतर है। उन्होंने ई-कम्यूट कार्यक्रम की पहल के लिए तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी प्रशंसा की, जिसके तहत बोर्ड के सभी अधिकारी हर बुधवार को गैर-जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के द्वारा अपने कार्यालय आते-जाते हैं।
एक अन्य क्रांतिकारी कदम के बारे में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत बीएस-वीआईमानक तक बहुत तेजी से पहुंच गया है और इसके ईंधन और वाहनों के मानकों को अपनाना वायु प्रदूषण का मुकाबला करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय है। “एनसीएपी के तहतवर्ष2014 से 2018 से वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर देश में 132 गैर-उपार्जित शहरों की पहचान की गई है। यह दक्षिण भारत में सभी प्रकार के आकारों और शहरों का विषम मिश्रण है जिसमें दक्षिणी भारत में आंध्र प्रदेश के 13 शहर और तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना के चार-चार शहर शामिल हैं।
भूपेन्द्र यादव ने युवा लोगों से सतत जीवन शैली, उचित व्यवहार और दृष्टिकोण अपनाकर वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के मिशन केसक्रिय एजेंट और समाज के परिवर्तन एजेंट बनने का अनुरोध किया। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि सभी हितधारकों के समन्वय, सहयोग, भागीदारी और निरंतर प्रयासों सेवायु प्रदूषण के मुद्दे को व्यापक तरीके से हल करने से ही एनसीएपी के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा।