आज का पंचांग: संतुलन का नाम ही जीवन

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज भाद्रपद की 6 गते है।

संतुलन का नाम ही जीवन

सावन बीत गया और भाद्रपद का महीना चल रहा है। वैसे तो काल गणना के अनुसार वर्षा काल का ये आखिरी महीना है, लेकिन प्रकृति उलट-पलट हो चुकी है। पर इसका आध्यात्मिक अर्थ है भद्रता, यानी सज्जनता। इस माह हमें अपनी सज्जनता पर काम करना चाहिए।

सूर्य ने जो कुछ भी पृथ्वी से लिया था, वो रस सावन माह में संसार को लौटाता है और भादों में दोनों हाथ से लौटाता है, इसे ही सज्जनता कहेंगे। श्रीराम भरत को समझा रहे थे। अमराई में भरत को असंतों के लक्षण बता रहे थे। और कहते हैं, ‘खलन्ह हृदयं अति ताप बिसेषी। जरहिं सदा पर संपति देखी’।

‘दुष्टों के हृदय में बहुत अधिक संताप रहता है। वे पराई संपत्ति-सुख देखकर सदा जलते रहते हैं। और जहां कहीं दूसरे की निंदा सुन पाते हैं, वहां ऐसे खुश होते हैं मानो कोई खजाना मिल गया हो।

जरा विचार करके देखिए, कभी-कभी हमारे भीतर भी ऐसी भावना जाग जाती है, क्योंकि हम भी अच्छे और बुरे के संयोग से बने हैं। राम समझा रहे हैं कि हमेशा अच्छाई को प्राथमिकता दो और उजागर करो और बुराई को नियंत्रित करो। क्योंकि ना तो कोई पूरा बुरा है और ना ही कोई पूरा अच्छा है। संतुलन का नाम ही जीवन है।

आज का विचार

हम सपने ज्यादा देखते है लेकिन पूरा करने की कोशिश बहुत ही कम करते है। सफलता के लिए दिन रात एक देना ही सफलता की निशानी है।

 आज का भगवद् चिन्तन

 परिवार में ऐसे रहें

अपनों को बल से नहीं अपितु प्रेम से ही जीता जा सकता है। अपनों को हराकर आप कभी नहीं जीत सकते अपितु अपनों से हारकर ही आप उन्हें जीत सकते हैं। जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है, वही तो बुद्धिमान है। वर्तमान समय में परिवारों की जो स्थिति हो गयी है,वह अवश्य चिन्तनीय है। घर-परिवार में आज सुनाने को सब तैयार हैं पर सुनने को कोई तैयार ही नहीं।

रिश्तों की मजबूती के लिये हमें सुनाने की ही नहीं अपितु सुनने की आदत भी डालनी होगी। अपने को सही साबित करने के लिए पूरे परिवार को ही अशांत बनाकर रख देना कदापि उचित नहीं। माना कि आप सही हैं पर कभी-कभी परिवारिक शांति बनाये रखने के लिये अकारण सुन लेना भी कोई अपराध नहीं। जिन्दगी की खूबसूरती केवल ये नहीं कि आप कितने खुश हैं,अपितु ये है कि आपसे कितने खुश हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *