श्रीकृष्ण को प्रिय हैं ये…लाइफ मैनेटमेंट का एक अच्छा उदाहरण…


भगवान श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रेम पर्याय रहा। श्री कृष्ण मानव इतिहास में मनुष्यता के सबसे बड़े मार्गदर्शक रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण को प्रिय ये वस्तुएं हमारे जीवन से किसी न किसी तरह से जुड़ी हुई हैं। जो हमे लाइफ मैनेटमेंट का एक अच्छा उदाहरण देती है। जानिए इन चीजों का क्या है मतलब।

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पंडित उदय शंकर भट्ट


बांसुरी

मुरलीधर हर पल प्रेम और शांति देने वाली बांसुरी अपने साथ रखते हैं। बांसुरी, सम्मोहन, खुशी व आकर्षण का प्रतीक मानी गई है। क्योंकि बांसुरी में 3 गुण है। पहला बांसुरी में गांठ नहीं होती है, जो इस बात का संकेत करती है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो। अर्थात मन में बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए। दूसरा बिना बजाय यह बजती नहीं है। मानो यह समझा रही है कि जब तक कहा ना जाए तब तक मत बोलो, तीसरा जब भी बांसुरी बजती है वह मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ है जब भी बोलो मीठा बोलो, अतः इस तरह के गुणों वाले व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं।

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गाय
संसार में पृथ्वी और गो सेवा से बड़ा कोई उदार और क्षमादान देने वाला नहीं है। गाय भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है, क्योंकि गाय सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है। गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। यह सभी गुणों से भरपूर होती है। गाय का मूत्र, गोबर, दूध ,दही ,और घी, इन्हें पंचगव्य कहते हैं। इनके सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है।

मोरपंख

शास्त्रों में मोर को चिर ब्रह्मचर्य जीव समझा जाता है। ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में श्री कृष्ण मोर पंख धारण करते हैं। मोर मुकुट का गहरा रंग दुख और कठिनाइयां तथा हल्का रंग सुख शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष और वास्तु में मोर पंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है।

वैजयंती माला

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भगवान कृष्ण के गले में वैजयंती माला सुशोभित है, जो कमल के बीजों से बनी है। कमल के बीज बहुत ही सख्त होते हैं, जो कभी टूटते नहीं है। इसका तात्पर्य है, जब तक जीवन है तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी ना हो। दूसरा यह बीजों की माला है। इस माला के माध्यम से भगवान यह संदेश देते हैं कि जमीन से जुड़े रहो, हमेशा अपने अस्तित्व के नजदीक रहो और अहंकार का त्याग करो।

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