हिमशिखर धर्म डेस्क
विनोद चमोली
विनोद चमोली
छह महीने के शीतकालीन प्रवास के बाद पतितपावनी मां गंगा की डोली मुखबा गांव से आज दोपहर 11ः45 बजे गंगोत्री मंदिर के लिए रवाना हुई। इस दौरान मुखबा गांव के लोग मां गंगा को विदा करते समय भावुक हो गए। इससे पूर्व तीर्थ पुरोहितों ने विधि-विधान के साथ मां गंगा की पूजा-अर्चना और डोली का श्रृंगार किया।
मुखबा गांव में शुक्रवार सुबह ठीक 7ः15 मिनट पर भंडारण कक्ष से मां गंगा की भोग मूर्ति का श्रृंगार का सामान निकाला गया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गंगा की भोग मूर्ति की पूजा-अर्चना शुरू हुई। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए ग्रामीणों ने मां गंगा को हलवा-पूरी, दूध, मक्खन, मिष्ठान का भोग लगाया। 9ः30 मिनट पर तीर्थ पुरोहितों ने मां गंगा की उत्सव मूर्ति को सजाकर डोली में विराजमान किया। दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर पुरोहित अपने कंधे पर मां गंगा की डोली को लेकर गंगोत्री के लिए रवाना हो गए। यह क्षण ग्रामीणों के लिए बेहद ही अनोखा क्षण था। दरअसल, मुखबा गांव के ग्रामीण देवी को अपनी बेटी के समान स्नेह करते हैं।
मंदिर समिति के सचिव पं. दीपक सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार सायं को देवी की डोली भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी। शनिवार सुबह 4 बजे डोली भैरव मंदिर से गंगोत्री मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। इसके बाद सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर कपाट खोल दिए जाएंगे। इस दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
गंगा सप्तमी तक मां गंगा के होंगे निर्वाण दर्शन
गंगोत्री मंदिर में मां गंगा के दर्शनों का रहस्य कम ही लोग जानते होंगे। दरअसल, कपाट खुलने के दिन से लेकर गंगा सप्तमी तक मंदिर के गर्भ गृह में मां गंगा के निर्वाण दर्शन होते हैं। गंगा सप्तमी के बाद कपाट बंद होने तक देवी के श्रंृगार रूप में दर्शन होते हैं।
गंगोत्री मंदिर में मां गंगा के दर्शनों का रहस्य कम ही लोग जानते होंगे। दरअसल, कपाट खुलने के दिन से लेकर गंगा सप्तमी तक मंदिर के गर्भ गृह में मां गंगा के निर्वाण दर्शन होते हैं। गंगा सप्तमी के बाद कपाट बंद होने तक देवी के श्रंृगार रूप में दर्शन होते हैं।