पंडित उदय शंकर भट्ट
नवरात्रि के नौ दिन के उत्सव का आज अंतिम दिन है। आज मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाएगी। जैसा की इनके नाम से स्पष्ट है मां का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धि और मोक्ष देने वाला माना गया है। महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अनहोनी से भी सुरक्षा प्राप्त होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष भी मिलता है। आइए जानते हैं माता सिद्धिदात्री पूजा विधि और महत्वपूर्ण जानकारी…
रवि योग में महानवमी 2021
महानवमी के दिन रवि योग रवि प्रात: 9:36 बजे से प्रारंभ है, जो 15 अक्टूबर को सुबह 06:22 बजे तक है। ऐसे में महानवमी रवि योग में है। महानवमी को राहुकाल दोपहर 01:33 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक है। महानवमी की पूजा में राहुकाल का त्याग करें तो उत्तम है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद करें कन्या पूजन
कन्या पूजन में कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोने चाहिए और फिर मंत्र द्वारा पंचोपचार पूजन करना चाहिए। इसके बाद सभी कन्याओं और एक बालक को पूरी, सब्जी, हलवा और काले चना आदि का भोजन कराएं। उनकी वैसे ही सेवा करें जैसा खुद माता आपके घर आई हुई हों। बालक बटुक भैरव के रूप में पूजा की जाती है। देवी की रक्षा और सेवा के लिए भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ के साथ-साथ एक भैरव को भी रखा हुआ है। इसलिए कन्या पूजन में एक बालक का होना भी जरूरी है। भोजन के बाद रोली और चावल लगाएं और फिर दक्षिणा दें। इसके बाद सभी कन्याओं के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। जो भी भक्त कन्या पूजन करके नवरात्रि का समापन करते हैं, उनको धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।