सूर्य पूजा का महापर्व :छठ के व्रत में क्यों की जाती है सूर्य पूजा, क्या है सूर्य का माहात्म्य

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

सूर्य पूजा का महापर्व छठ पूजा आज 10 नवंबर को मनाया जाएगा। छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। सूर्य पंचदेवों में से एक हैं और रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से धर्म लाभ के साथ ही सेहत को भी लाभ मिलते हैं।

सूर्य ही एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी चढ़ावे या बड़े अनुष्ठान की जरूरत नहीं पड़ती। इन्हें मात्र नमस्कार कर या जल का अर्घ्य देकर ही प्रसन्न किया जा सकता है। सूर्य को समस्त संसार को ऊर्जा प्रदान करने वाला देव भी माना जाता है। लौकिक कथाओं में मान्यता है कि धन, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और संपन्नता को पाना है तो अर्घ्य देते समय भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप करें। इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं। साथ ही कुंडली या आपकी राशि में सूर्य की स्थिति बलवान होती है।

सूर्यदेव को अर्घ्य क्यों दिया जाता है 

छठ महापर्व पर सूर्य को अर्घ्य देने का अभिप्राय सूर्यदेव को आभार व्यक्त करने कि एक परंपरा है। हम ये कह सकते हैं कि जीवन और पृथ्वी का आधार सूर्य ही है। प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि नित्य सूर्य को अर्घ्य अन्य पूजा की शुरुआत करते थे। सूर्य को जल अर्पित करने का अर्थ है कि हे सूर्य देवता, हम सच्चे हृदय से आपके आभारी हैं और यह भावना प्रेम से उत्पन्न हुई है।

क्या है सूर्य उपासना की वैज्ञानिक मान्यता

वैज्ञानिक मान्यता है कि शरीर में विटामिन डी पूरा करने के लिए सूर्य आवश्यक है।  सुबह और शाम के समय सूर्य के दर्शन करने से शरीर को सूर्य कि ऊर्जा प्राप्त होती है। यह बुद्धि को कुशाग्र और सबल बनाता है।

रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्यदेव को 12 नामों का जाप करना चाहिए।

1- ॐ सूर्याय नम:।
2- ॐ मित्राय नम:।
3- ॐ रवये नम:।
4- ॐ भानवे नम:।
5- ॐ खगाय नम:।
6- ॐ पूष्णे नम:।
7- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।
8- ॐ मारीचाय नम:।
9- ॐ आदित्याय नम:।
10- ॐ सावित्रे नम:।
11- ॐ अर्काय नम:।
12- ॐ भास्कराय नम:।

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