नवरात्रि 2024: अष्टमी और महानवमी पर किया जाता है कन्या पूजन, जानें विधि, शुभ मुहूर्त और खास व्यंजन


मां दुर्गा के नौ दिनों चलने वाले पर्व को कन्या पूजन के साथ समाप्त किया जाता है। कन्या पूजन का नवरात्रि में बहुत ही महत्व माना गया है। कुछ लोग आज अष्टमी तिथि और कुछ कल नवमी तिथि में कन्या पूजन करेंगे। आज अष्टमी तिथि दोपहर 12:30 बजे के बाद लग रही है।


Uttarakhand
  • अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है
  • अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है
  • घर में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन करने के लिए बुलाएं

पंडित उदय शंकर भट्ट

नवरात्रि के पर्व में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है।

महाष्टमी और नवमी पर देवी का रूप मानकर कन्याओं की पूजा की जाती है। माना जाता है की कन्याओं की पूजा के साथ भोजन करवाने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इससे भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। नौ कन्याओं को नौ देवियों का रूप मानकर पूजने के बाद ही नवरात्र व्रत पूरा माना जाता है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर हवन और देवी की महा पूजा की परंपरा है।

धर्म ग्रंथों के मुताबिक कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी और नवमी का दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है। इस दिन ऐसी कन्याओं की पूजा करनी चाहिए। जिनकी उम्र दो साल से ज्यादा तथा 10 साल तक की होनी चाहिए। इन कन्याओं की संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी या भैरव का रूप माना जाता है।

कन्या पूजन के नियम

महाष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के कुछ नियम श्रीमद् देवीभागवत में बताए गए हैं। जिसके मुताबिक एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि चीजों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती हैं इसलिए 2 से 10 साल तक की कन्याओं की पूजा की जा सकती है।

कन्या पूजा से बढ़ती है सुख-समृद्धि

कन्याओं को बुलाने के बाद पहले कन्याओं के पैर धुलवाएं। उनकी पूजा करनी चाहिए। फिर सभी को खीर या हलवा-पुड़ी के साथ अन्य चीजें खिलाएं। फिर कन्याओं की आरती करें और श्रद्धा अनुसार उनको दक्षिणा, फल और वस्त्र दान करें। इसके बाद कन्याओं को प्रणाम कर के विदा करें। कन्या पूजन से दरिद्रता खत्म होती है और दुश्मनों पर जीत मिलती है। धन और उम्र बढ़ती है। वहीं, विद्या और सुख-समृद्धि भी मिलती है।

किस उम्र की कन्या को कौन सी देवी का रुप माना जाता है

दो साल की कन्या को कुमारिका कहा गया है और इनकी पूजा से आयु और बल बढ़ता है। तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति होती हैं और इनकी पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। चार साल वाली कन्या को कल्याणी कहा गया है। इनकी पूजा से लाभ मिलता है। पांच साल की कन्या रोहिणी होती है इनकी पूजा से शारीरिक सुख मिलता है।

6 साल की कन्या की पूजा से दुश्मनों पर जीत मिलती है। इन्हें कालिका का रूप माना गया है। सात साल की कन्या को चंडिका माना गया है। इनकी पूजा से संपन्नता और ऐश्वर्य मिलता है। आठ साल वाली कन्या देवी शाम्भवी का रूप मानी गई है। इनकी पूजा से दुःख और दरिद्रता खत्म होती है। नौ साल की कन्या दुर्गा होती है। इनकी पूजा करने से हर काम में सफलता मिलती है। वहीं, 10 साल की कन्या को सुभद्रा कहा गया है और इनकी पूजा से मोक्ष मिलता है।

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, अक्टूबर 10, 2024

सूर्योदय: 06:19

सूर्यास्त: 17:56

तिथि: सप्तमी – 12:31 तक

नक्षत्र: पूर्वाषाढा – 29:41+ तक

योग: अतिगण्ड – 28:37+ तक

करण: वणिज – 12:31 तक

द्वितीय करण: विष्टि – 24:24+ तक

पक्ष: शुक्ल पक्ष

वार: गुरुवार

अमान्त महीना: आश्विन

पूर्णिमान्त महीना: आश्विन

चन्द्र राशि: धनु

सूर्य राशि: कन्या

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