हिमशिखर खबर ब्यूरो।
एक बालक था। बहुत ही सरल और दीन दुनिया के प्रपंचों से दूर था’। ‘कहा जाता है कि सरल हृदय व्यक्ति को ही सरलता से ईश्वर की प्राप्ति होती है’। ‘बालक (किशन) यही कोई 11-12 वर्ष का था’। ‘एक दिन जंगल में भटक रहा था’। ‘वहीं उसकी भेट यमराज से हो जाती है’।
‘यमराज किसान के वेश में थे, सो बालक उन्हें पहचान नहीं सका’। ‘दोनो के बीच वार्तालाप हुआ’। ‘यमराज जी ने उस बालक से कुछ प्रश्न किए। जिस पर बालक ने अपने घर की स्थिति बतलाई’। यम जी को बालक पर दया आ गई’। ‘उनने उस बालक से कहा मैं यमराज हूं’। ‘बालक ने कौतूहल वश पूछा कि क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे’। ‘यम ने उसके सरल स्वभाव के कारण दोस्ती स्वीकार कर ली’। ‘बालक ने पूछा कि हे प्रभु आप मेरी आयु बतला सकते हैं’। ‘यम बोले कि तुम्हारी उम्र 18 साल की अल्पायु है।’ ‘बालक ने कहा कि जिसका मित्र स्वयं यमराज हो उसकी अल्पायु कैसे हो सकती है’।
‘यम ने पूछा कि तुम क्या चाहते हो’। ‘बालक ने कहा कि मैंने तो अभी दुनिया ही नही देखा है’। ‘मेरी उम्र बढ़ा दीजिये’। ‘यम ने कहा कि इससे यम नियमों का उल्लंघन होगा’, ‘बालक जिद करने लगा कि एक तो आप मुझे अपना मित्र मानते हो और मेरी छोटी सी बात (इच्छा) भी पूरी नहीं कर सकते’। आप तो सर्व शक्तिमान हैं’, ‘आपने कई बार अपने नियम स्वयं तोड़े हैं’। ‘सती सावित्री के पति के जीवन को तो आपने ही लौटाया था’। ‘नचिकेता को भी आपने जीवन दान दिया था’, ‘फिर मुझे क्यों वंचित कर रहे हैं’?
‘यम ने कुछ पल सोच कर पूछा कि तुम अपनी उम्र कितना चाहते हो’, ‘बालक ने सोचकर कहा कि मेरा विवाह होने और बच्चे होने उनके पालन करने तक की उम्र दीजिये’। ‘यम ने कहा तथास्तु’, ‘और गायब हो गए’, ‘समय बीतता गया’। ‘बालक युवा हुआ विवाह हुआ’। ‘3 संताने हुई उनके बच्चे भी बड़े हो गए थे’। ’50 वर्ष बीतने के बाद एक दिन यम फिर प्रगट हुए’, ‘याद दिलाया कि मित्र अब तुम्हारा समय पूरा हो गया है’। ‘तुम्हें मृत्यु लोक त्यागना होगा’, ‘किशन ने कहा कि ठीक है’, ‘यह मनुष्य जीवन तो आप समाप्त कर दीजिए’। ‘पर मेरा मन अभी मेरे बच्चों से भरा नहीं है’, ‘मुझे अगला जन्म भी इसी घर मे दें’।
‘यम ने कहा, किशन मैं तुम्हे इसी घर मे कुत्ते की योनि में जन्म देता हूँ’। ‘इस तरह किशन कुत्ते का जन्म पाकर (राजा नाम) कुत्ता बना’। ‘अब कुत्ते के जन्म में वह दिन भर अपने नाती पोतों के साथ खेलता और मस्ती करता’। ‘आखिर कुत्ते की उम्र भी तो 18 साल ही हो सकती है’। ‘वह दिन भी आ गया जब इस जीवन को भी तो छोड़ना ही था’। ‘कुत्ते (राजा) की मृत्यु पश्चात यम पुनः आये और शरीर त्याग कर मृत्यु लोक छोड़ने कहा’। ‘मृतक ने कहा’, ‘कि आखिर कहीं न कहीं तो मुझे जन्म तो लेना ही होगा तो क्यों नहीं एक जन्म और इसी घर मे और मिल जाता’।
‘यम ने उसे उसी घर में सांप का योनि देकर कहा कि सर्प की आयु लंबी होती है जब तक चाहो इस योनि (सर्प) में रह सकते हो’। ‘हाँ अब तुम स्वयं मुझे पुकार कर याद कर सकोगे, मैं आ जाऊंगा’, ‘अब सर्प रात को बिल से बाहर निकल कर घूमता और अपने पूर्व परिवार बेटे बेटी नाती पोतों को देखकर खुश होता’। ‘एक रात सर्प बाहर घूम रहा था कि अचानक उस घर का छोटा बालक बाहर निकल कर सर्प को देख भयभीत होकर सांप सांप चिल्लाने लगा’। ‘घर के दूसरे सदस्य भी बाहर निकल कर सांप को देखने लगे’।
‘तभी किसी ने कहा कि घर के पास सांप का रहना उचित नहीं किसी दिन घर के किसी सदस्य को डस सकता है अतः इसे मार डालना चाहिए’। ‘सबने लाठी डंडे बरछी निकाल कर बिल को खोदने लगे सर्प डर कर कांपने लगा’। ‘उसने भय वश यम को पुकारा’, ‘मित्र जल्द आओ मुझे घरवालों से बचाओ’, ‘यम प्रगट हुए तो सर्प ने कहा कि मित्र मुझे अब मुक्ति चाहिए’। ‘जिस परिवार के लिये मैंने 3 जन्म मोह वश खराब किया वही मेरे जान के दुश्मन बन बैठे हैं मुझे जल्द ले चलो’, ‘इस तरह उसकी मुक्ति हुई’। ‘इसलिये इस कथा से सीख मिलती है कि मोह उतना ही उचित है जितना ईश्वर एक जन्म में देता है’। जीवन जीयें और ज्यादा मोह से बचें।