पंडित उदय शंकर भट्ट
आज दोपहर को सूर्य वृष से मिथुन राशि में चला जाएगा। इसलिए इस दिन मिथुन संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इस दिन से तीसरे सौर महीने की शुरुआत होती है। इस महीने में ही वर्षा ऋतु भी आ जाती है। इसी दिन से आषाढ़ महीने की शुरुआत होगी। इस महीने में भगवान सूर्य की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इसलिए ये संक्रांति पर्व और भी खास हो गया है।
सूर्य पूजा और दान का महत्व
स्कंद और सूर्य पुराण में ज्येष्ठ महीने में सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस हिंदू महीने में मिथुन संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही निरोगी रहने के लिए विशेष पूजा भी की जाती है। सूर्य पूजा के समय लाल कपड़े पहनने चाहिए। पूजा सामग्री में लाल चंदन, लाल फूल और तांबे के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। पूजा के बाद मिथुन संक्रांति पर दान का संकल्प लिया जाता है। इस दिन खासतौर से कपड़े, अनाज और जल का दान किया जाता है।
संक्रांति का फल: बढ़ सकती है महंगाई
ज्योतिष ग्रंथों में तिथि, वार और नक्षत्रों के मुताबिक हर महीने होने वाली सूर्य संक्रांति का शुभ-अशुभ फल बताया गया है। इस बार मिथुन संक्रांति का वाहन वराह है। इसके प्रभाव से महंगाई बढ़ सकती है। बीमारियों में कमी आएगी। भ्रष्ट लोगों और अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों से भारत के संबंध अच्छे रहेंगे। देश में कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश होगी।