धनोल्टी: प्रसव पीड़ा से तड़पते आधी रात जंगल में पैदल चलकर सड़क पर पहुंची गर्भवती

नई टिहरी

Uttarakhand

देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है पर कुछ गाँव ऐसे हैं जहां आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है। ऐसा ही एक मामला धनोल्टी ब्लॉक के धनोल्टी लग्गा गोठ गांव का है। जहां आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी आज तक गांव में सड़क नहीं बनी है। गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सड़क न होने के कारण धनोल्टी लग्गा गोठ की एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से तड़पते हुए आधी रात में घनघोर जंगल में ढाई किलो मीटर पैदल चलकर छह घंटे में धनोल्टी सड़क पर पहुंच सकी। मसूरी अस्पताल पहुंचने पर महिला का सुरक्षित प्रसव हो गया।

टिहरी जनपद के धनोल्टी लग्गा गोठ के ग्रामीण सड़क न होने से परेशान हैं। गांव निवासी सोनू गौड़ की गर्भवती पत्नी अंजू देवी 29 वर्षीय को सामान्य प्रसव पीड़ा थी। 22 जून देर रात्रि 11 बजे अंजू देवी को तेज प्रसव पीड़ा उठने के बाद सोनू गौड़ पत्नी को लेकर अस्पताल जाने के लिए मजबूरन पैदल चल दिए। अंजू देवी प्रसव दर्द से कराहते हुए घनघोर जंगल के रास्ते बमुश्किल अपने पति के साथ पांच-छह घंटे में धनोल्टी में सड़क तक पहुंच सकी।

धनोल्टी से सोनू गौड़  वाहन से 30 किमी की यात्रा कर गर्भवती पत्नी को मसूरी अस्पताल ले गए। यहां चिकित्सकों की टीम ने महिला का सुरक्षित प्रसव करा दिया है। अस्पताल पहुँचने के कुछ देर बाद ही महिला ने स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।

सोनू गौड और कुलदीप नेगी़ का कहना है कि गांव के लोग लंबे समय से ढाई से तीन किलोमीटर सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनकी मांग को अनसुना किया जा रहा है।

अंजू देवी बताती हैं कि जब वह ब्याह कर यहां आई थीं तब से अब तक सड़क नहीं बन पाई है। उनको ससुराल में सड़क न होने का मलाल है।

प्रधान लाखीराम चमोली का कहना है कि सड़क न होने के कारण लोगों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लोगों की सुविधा को देखते हुए पीएमजीएसवाई से सड़क मानकों में बदलाव करने की मांग की है।

क्या कहते हैं अधिकारी

पीएमजीएसवाई के ए.ई. नरेंद्र सिंह का कहना है कि विभागीय मानक पूरा न कर पाने के कारण गांव को सड़क योजना से नहीं जोड़ा जा सका है। ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए उच्चाधिकारियों को मानकों में बदलाव करने संबंधी जानकारी दी गई है। आदेश मिलते ही कार्यवाही की जाएगी।

गर्भवती महिलाओं को करना पड़ता है शिफ्ट

सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप नेगी ने बताया कि गाँव में सड़क न होने के कारण अधिकांश गर्भवती महिलाओं को उनके परिजन आसपास के शहरों में किराए के मकान में रखने को मजबूर हैं। 

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