हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी। टिहरी झील में समा चुके ऐतिहासिक पुरानी टिहरी शहर की स्मृति को सहेजने के लिए स्वामी रामतीर्थ परिसर ने नई पहल की है। इसके लिए परिसर प्रशासन ने पुरानी टिहरी शहर के पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के नाम पर पेड़ों का नामकरण किया है। साथ ही इन पेड़ों की सुरक्षा का दायित्व भी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को दिया गया।
एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर का पुरानी टिहरी से गहरा नाता रहा है। 1999 में बांध बनने के कारण परिसर को पुरानी टिहरी से बादशाहीथौल में शिफ्ट किया गया था। इस दौरान परिसर ने पुरानी टिहरी से मिट्टी और पानी लाकर पेड़ों को लगाया था।
बुधवार को पुरानी टिहरी स्थापना दिवस के अवसर पर पुरानी टिहरी के पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थलों गणेश प्रयाग, घण्टाघर, पुराना दरबार, अठूर का सेरा, भैरव मन्दिर, प्रताप इण्टर कालेज, सिमलासू, गोल कोठी, आजाद मैदान, बद्रीनाथ मन्दिर आदि कीे स्मृति में पूरे परिसर में पेड़ों का नामकरण किया गया। परिसर निदेशक प्रो एए बौडाई ने आने वाली पीढ़ियों को टिहरी और उसकी संस्कृति से जोड़ने के लिए पेडों का नामकरण किया गया है।
इस मौके पर पूर्व निदेशक प्रो आर सी रमोला, प्रो एसके शर्मा, प्रो डी0एस0 बागड़ी, प्रो ए0बी0 थपलियाल, डाॅ एल0आर0 डंगवाल, डाॅ शंकर लाल, डाॅ अनुप सेमवाल, अर्पणा सिंह, राकेश कोठारी, सुदामा लाल, रामेश्वर रतूड़ी, रमेश रतूड़ी, आनन्द सिंह मियां, महिपाल भण्डारी, देवेन्द्र, शैलेन्द्री, उमा देवी, कविता, सुरेश कुमार, एनसीसी कैडेट एवं छात्र-छात्राऐं आदि उपस्थित थे।