छोटी दिवाली: नरक चतुर्दशी की पूजा विधि और महत्व जानें

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

Uttarakhand

दीपावली पर्व का दूसरा त्यौहार नरक चतुर्दशी इस बार बुधवार, 3 नवंबर को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान यमराज को प्रसन्न करने के लिए अरुणोदय से पूर्व तैलादि लेपन कर स्नान करने का विधान है, यद्यपि कार्तिक के महीने तैल का लेपन नहीं करते हैं पर आज के लिए वर्जित नहीं है। अपा मार्ग से इस मंत्र के साथ प्रोक्षण करना चाहिए।

सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम् ।

हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुनः पुनः।।

स्नान के बाद यम तर्पण करने चाहिए, इससे वर्ष भर के पाप धुल जाते हैं। घर के हर कोने में दीप प्रज्वलित करना चाहिए। यमराज के निमित्त त्रयोदशी से अमावस्या तक दीपक जलाने चाहिए।

बलि के दान और भक्ति के प्रभाव से प्रसन्न होकर वामन भगवान ने वर मांगने को कहा। तब बलि ने प्रार्थना की कि प्रभो मेरे राज्य में जो भी व्यक्ति यमराज के निमित्त इन तीनों दिन दीपक जलाएगा उसे यम यातना न हो और इन तीनों दिनों दीपावली मनाने वालों के घर को मां लक्ष्मी कभी भी न छोड़ें। भगवान श्री विष्णु के ‘ऐसा ही होगा’ यह कह कर बलि को उसके मनोनुकूल वर दान किया।

छोटी दिवाली की पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण, यम और हनुमान जी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है और पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है।

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