हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई दिल्ली: राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) ने आज जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की जहां इमारतों और अन्य ढांचों में दरारें आ गई हैं। इस बात पर जोर दिया कि तत्काल प्राथमिकता प्रभावित क्षेत्र से पूरी तरह से और सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने की होनी चाहिए।
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने आज बैठक की और जोशीमठ में स्थिति की समीक्षा की।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने एनसीएमसी को वर्तमान स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी दी कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घरों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। प्रभावित परिवारों को जगह देने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत आश्रयस्थलों की पहचान की गई है। राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा प्रदान किया जा रहा है और राहत उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है। जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र और उसके आसपास के निर्माण कार्यों को भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है। जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात किया गया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सचिव ने समिति को बताया कि सीबीआरआई, जीएसआई, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, एनआईडीएम और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम ने स्थिति का आकलन करने के लिए 6 और 7 जनवरी 2023 को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। टीम ने जिला प्रशासन से उनकी आवश्यकताओं को जानने के लिए बातचीत की।
केंद्रीय गृह सचिव ने समिति को बताया कि सचिव, सीमा प्रबंधन की अगुआई में गृह मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम स्थिति का आकलन करने के लिए जोशीमठ में ही मौजूद है।
कैबिनेट सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस समय प्राथमिकता प्रभावित क्षेत्र में सभी निवासियों की पूर्ण एवं सुरक्षित निकासी होनी चाहिए। संवेदनशील ढांचों को सुरक्षित तरीके से गिराने को प्राथमिकता में रखा जा सकता है। भू-तकनीकी, भू-भौतिकीय और जल विज्ञान संबंधी सभी अध्ययन और जांच को समन्वित एवं समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए। कैबिनेट सचिव ने मुख्य सचिव को आश्वस्त किया है कि सभी केंद्रीय एजेंसियां हर जरूरी सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगी।
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, उत्तराखंड के मुख्य सचिव, बिजली, सूचना एवं प्रसारण, सीमा प्रबंधन, जल संसाधन, खान मंत्रालयों के सचिव के अलावा एनडीएमए के सदस्य, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ टू द चेयरमैन, स्टाफ कमिटी के प्रमुख, इसरो अध्यक्ष के वैज्ञानिक सचिव, केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष, एनडीआरएफ के महानिदेशक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के महानिदेशक, राष्ट्रीय दूर-संवेदी केंद्र के वैज्ञानिक (एसजी), एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक, राष्ट्रीय सीस्मोलॉजी केंद्र के निदेशक और सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक ने भाग लिया।