सनातन के मर्म को समझने की जरूरत: मंजू शेखावत

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हिमशिखर खबर ब्यूरो

सनातन शब्द को लेकर काफी चर्चाएं चलती रहती हैं। यह बहुत प्राचीन है। योगियों ने जब जीवन को समझाया, तब यह पाया गया कि बाहर तो जन्म-मृत्यु का खेल रहता है, लेकिन उसके मूल में कुछ है, जो सदा बना रहता है। सूरज की गति से प्रकाश और अँधेरा होता है, लेकिन यह खेल जिस अवकाश में होता है, वह शाश्वत है, अर्थात् सनातन है। जीवन हर पल मरता है और प्रतिपल जन्म होता है। जैसे, एक सांस है और दूसरी बाहर है। अति-सांसारिक जन्म होता है, अति-सांसारिक मृत्यु होती है। यह जो लय है जीवन की, वही सनातन है। सनातन सनातन समयातीत होता है। सनातन का मतलब होता है कि जिसमें नये और पुराने का कोई अर्थ नहीं है, जो सदा है। पुराना का मतलब है, जो कभी था. नये का मतलब है, जो कभी नहीं था.

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