जिस प्रकार से बजरंग बली ने तमाम दुर्गम कायों को सुगमता से पूरा कर लंका विजय के भगवान राम के अभियान को आसान बना दिया था। चाहे समुद्र को लांघ जाना हो या फिर पूरे पहाड़ को उठा कर ले जाना हो। उनका कोई भी काम चमत्कार से कम नहीं था। ठीक वैसे ही हनुमान के परम भक्त नीम करौली बाबा भी अपने आराध्य की तरह ही चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। नीम करौली बाबा के भक्तों की फेहरिस्त सात समुंदर पार तक है।
हिमशिखर खबर ब्यूरो
भारत को ऋषि-मुनियों की धरती के नाम से जाना जाता है। पुरातन काल से लेकर अभी तक भारत कई महात्माओं और महापुरुषों का जन्म स्थान रहा है। इन्हीं महात्माओं ने अध्यात्म को पूरे विश्व में प्रचारित किया। संत-महात्मा लोग हमारे जीवन को प्रकाशवान करते हैं, अपितु सुख-सुविधा त्यागकर देश का भी कल्याण करते हैं। ऐसे ही विख्यात संत नीम करौली बाबा भी थे।उनके भक्तों में देश-विदेश के तमाम दिग्गज शुमार हैं।
नीम करोली बाबा के आराध्य थे हनुमान जी
नीम करोली बाबा बजरंगबली को अपना गुरु और आराध्य मानते थे। नीम करोली बाबा ने अपने जीवनकाल में करीब 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया। लाखों फॉलोअर्स के बावजूद वे आडंबर से दूर रहना पसंद करते थे और एक आम इंसान की तरह रहा रहते थे।
किसी से पैर नहीं छूने देते थे
नीम करोली बाबा किसी से अपना पैर नहीं छूने देते थे, जो कोई भी भक्त बाबा के पैर छूने के लिए आगे बढ़ता था वो उसको रोक देते थे। वो कहते थे कि मेरी जगह हनुमान जी का पैर छुओ…वही कल्याण करेंगे।
एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स पहुंचे थे कैंची धाम
एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जाॅब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। उनके लिए भारत यात्रा एडवेंचर नहीं थी। आध्यात्मिक यात्रा पर आए थे। हरिद्वार के बाद कैंचीधाम आश्रम आ गए। आश्रम पहुंचने पर उन्हें पता चला कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहा जाता है कि एप्पल के लोगों का आइडिया स्टीव को बाबा के आश्रम से ही मिला। कथित तौर पर नीम करौली बाबा को सेब पंसद थे और वह बड़े चाव से सेब खाया करते थे। भक्तों का कहना है कि इसी वजह से स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगो के लिए कटे हुए एप्पल को चुना था।