नीति आयोग ने जारी की रिपोर्ट : सुधार वाले बड़े राज्यों में शीर्ष पर यूपी, केरल सबसे आगे

नई दिल्ली

नीति आयोग ने आज 2019-20 के लिए राज्य स्वास्थ्य सूचकांक के चौथे संस्करण को जारी किया है। इस रिपोर्ट को “स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत” शीर्षक दिया गया है। यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग उनके स्वास्थ्य परिणामों में साल-दर-साल क्रमिक प्रदर्शन के साथ-साथ उनकी व्यापक स्थिति के आधार पर तय करती है।

Uttarakhand

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हेल्थ इंडेक्स में सुधार वाले बड़े राज्यों में यूपी शीर्ष पर है। सुधार करने के मामले में ‘बड़े राज्यों’ में उत्तर प्रदेश, असम और तेलंगाना शीर्ष तीन रैंकिंग वाले राज्य रहे। ‘छोटे राज्यों’ में मिजोरम और मेघालय ने अधिकतम वार्षिक वृद्धिशील प्रगति दर्ज की। केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली के बाद जम्मू और कश्मीर ने सबसे अच्छा वृद्धिशील प्रदर्शन दिखाया। चौथे स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार, बड़े राज्यों में, सभी मानकों पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में केरल ने जहां शीर्ष स्थान हासिल किया है तो वहीं सुधार वाले बड़े राज्यों में यूपी टाप पर है।

इस रिपोर्ट को संयुक्त रूप से नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत, अतिरिक्त सचिव डॉ. राकेश सरवाल और विश्व बैंक की वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ शीना छाबड़ा ने जारी किया। इस रिपोर्ट को नीति आयोग ने विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के गहन परामर्श से विकसित किया है।

‘बड़े राज्यों’ की श्रेणी के तहत वार्षिक क्रमिक प्रदर्शन के मामले में उत्तर प्रदेश, असम और तेलंगाना शीर्ष तीन रैंकिंग वाले राज्य हैं।

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क्रमिक प्रदर्शन और समेकित प्रदर्शन पर बड़े राज्यों का वर्गीकरण

‘छोटे राज्यों’ की श्रेणी में मिजोरम और मेघालय ने अधिकतम वार्षिक क्रमिक प्रगति दर्ज की है।

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क्रमिक प्रदर्शन और समेकित प्रदर्शन पर छोटे राज्यों का वर्गीकरण

केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में  दिल्ली के बाद जम्मू और कश्मीर ने सबसे अच्छा क्रमिक प्रदर्शन किया है।

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क्रमिक प्रदर्शन और समेकित प्रदर्शन पर केंद्रशासित प्रदेशों का वर्गीकरण

2019-20 में समेकित सूचकांक अंक के आधार पर व्यापक रैंकिंग के तहत ‘बड़े राज्यों’ में केरल व तमिलनाडु, ‘छोटे राज्यों’ में मिजोरम व त्रिपुरा और केंद्रशासित प्रदेशों में दादरा एवं नगर हवेली व दमन एवं दीव और चंडीगढ़ शीर्ष रैकिंग वाले राज्य हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, ‘राज्यों ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक जैसे सूचकांकों को अपने संज्ञान में लेना शुरू कर दिया है और उनका नीति निर्धारण व संसाधन आवंटन में उपयोग किया है। यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद, दोनों का एक उदाहरण है।’

वहीं, सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘इस सूचकांक के जरिए हमारा उद्देश्य न केवल राज्यों के ऐतिहासिक प्रदर्शन, बल्कि उनके क्रमित प्रदर्शन को भी देखना है। यह सूचकांक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और एक-दूसरे से सीखने की प्रवृति को प्रोत्साहित करती है।’

इस सूचकांक को 2017 से संकलित और प्रकाशित किया जा रहा है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण और स्वास्थ्य सेवा के वितरण में सुधार के लिए प्रेरित करना है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रोत्साहन के लिए इस सूचकांक को जोड़ने का निर्णय लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस वार्षिक सूचकांक के महत्व पर फिर से जोर दिया है। यह बजट खर्च व इनपुट से आउटपुट व परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायक  रही है।

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