स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कामगारों (गिग वर्कर्स) पर नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की गिग वर्कफोर्स 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ होने की उम्मीद है, जो 2020-21 में 77 लाख थी। रिपोर्ट में ऐसे कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा देने पर जोर दिया गया है।
नई दिल्ली
नीति आयोग ने आज ‘इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी’ शीर्षक नामक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत और विशेष सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव ने जारी की।
यह रिपोर्ट अपनी तरह का ऐसा पहला अध्ययन है जो भारत में गिग-प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के बारे में व्यापक दृष्टिकोण और सिफारिशें प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट क्षेत्र के मौजूदा आकार और रोजगार की सृजन क्षमता का अनुमान लगाने के लिए एक वैज्ञानिक पद्धति से संबंधित दृष्टिकोण उपलब्ध कराती है। यह इस उभरते हुए क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों के बारे में भी प्रकाश डालती है और सामाजिक सुरक्षा पहल के बारे में श्रेष्ठ वैश्विक प्रथाओं को भी प्रस्तुत करती है। यह इस क्षेत्र में श्रमिकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन की रणनीतियों की रूपरेखा भी दर्शाती है।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि यह रिपोर्ट क्षेत्र की क्षमता को समझने और गिग तथा प्लेटफॉर्म के काम के बारे में अनुसंधान और विश्लेषण को आगे बढ़ाने के लिए एक मूल्यवान ज्ञान संसाधन बन जाएगी।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भारत में बढ़ते शहरीकरण, इंटरनेट, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और स्मार्टफोन तक व्यापक पहुंच को देखते हुए इस क्षेत्र की रोजगार सृजन क्षमता के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट की सिफारिशें मंत्रालयों, राज्य सरकारों, प्रशिक्षण प्रदाताओं, प्लेटफॉर्म कंपनियों और अन्य हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में काम करेगी, ताकि ये इस क्षेत्र में विकास और रोजगार क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकें।
विशेष सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव ने इस रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2020-21 में गिग अर्थव्यस्था में 77 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। इनका गैर-कृषि कार्यबल में 2.6% या भारत के कुल कार्यबल में 1.5% योगदान है। गिग कार्यबल की संख्या बढ़कर वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। वर्ष 2029-30 तक भारत में गिग कर्मचारियों का गैर-कृषि कार्यबल में 6.7% या भारत में कुल आजीविका में 4.1% योगदान होने की उम्मीद है। वर्तमान में लगभग 47% गिग कार्य मध्यम कौशल रोजगार में है और लगभग 22% उच्च कौशल में तथा लगभग 31% कम कौशल रोजगार में है। इस रूख से यह पता चलता है कि मध्यम कौशल में श्रमिकों की एकाग्रता धीरे-धीरे कम हो रही है और कम कौशल और उच्च कौशल में बढ़ रही है।
गिग-प्लेटफ़ॉर्म क्षेत्र की क्षमता का लाभ उठाने के लिए यह रिपोर्ट प्लेटफ़ॉर्म कर्मियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उत्पादों के माध्यम से वित्त तक पहुंच में तेजी लाने, क्षेत्रीय और ग्रामीण व्यंजन, स्ट्रीट फ़ूड आदि को बेचने के व्यवसाय में लगे स्व-नियोजित व्यक्तियों को प्लेटफ़ॉर्मों से जोड़ने की सिफारिश करती है ताकि उन्हें अपने उत्पादों को कस्बों और शहरों में, बड़े बाजारों में बेचने के लिए सक्षम बनाया जा सके। यह रिपोर्ट प्लेटफॉर्म आधारित परिवर्तनकारी और परिणाम-आधारित कौशल के बारे में भी सुझाव देती है तथा कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए लैंगिक संवेदनशीलता और पहुंच जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से सामाजिक समावेश को बढ़ाने तथा सामाजिक सुरक्षा वर्ष 2020 में परिकल्पना के अनुसार साझेदारी मोड में सामाजिक सुरक्षा उपायों का विस्तार भी करती है। अन्य सिफारिशों में गिग और प्लेटफॉर्म कार्यबल के आकार का अनुमान लगाने के लिए एक अलग गणना करना और आधिकारिक गणना (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण) के दौरान जानकारी एकत्र करना भी शामिल है ताकि गिग श्रमिकों की पहचान की जा सके।