भाई कमलानंद
पूर्व सचिव भारत सरकार
जलवायु परिवर्तन का संकट हमारे सर पर खड़ा है और इसके निदान के लिए नौटंकी की जा रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए खानापूर्ति के लिए एक-दो पेड़ लगाने का नाटक बंद होना चाहिए। गाय को बचाने के लिए भी नाटक किया जा रहा है। अब इन सभी में नाटक नहीं चलेगा। अब वर्तमान परिस्थितियों में जो भी काम किया जाए वह सोलिड होना चाहिए।
हमने जन नियोजन अभियान बनाया है। इसके श्री प्रदीप गांधी जी अध्यक्ष हैं और मैं महासचिव हूँ।
हम चाहते हैं कि हर चीज में बड़ा धंधा खोजा जाए। पेड़ों का धंधा, नर्सरी का धंधा, गाय के उत्पादों का धंधा, पंचगव्य विद्यापीठम से सीखो, रमन मॉडल से सीखो। इस तरह से समाज में कुछ करने की एक हवा बनेगी। पंचायतों के लिए जो 239 विषय हैं, उन सारे विषयों में स्वरोजगार है।
यह तो निश्चित है कि पूरी दुनिया की व्यवस्था पोषक की जगह शोषक के हाथ में गले गई है। पोषक वह है जो पोषण करने वाला हो। ऐसे में दो वर्ग है, एक लूटने वाले और दूसरे लुटवाने वाले। शाकाहार, अहिंसा करुणा ऐसे शब्द हैं, जो दुनिया को बचा सकते हैं। मगर इनको हल्के में लिया जाता है। इसके लिए प्रत्येक वर्ग के लोगों को छोटे-बड़े काम सीखने पड़ेंगे सभी स्वभिमानी और अपने मालिक हैं।
पेड़ों में लाखों-करोड़ों का धंधा कैसे किया जाए। नर्सरी वालों के माध्यम से कैसे मिश्रित वन लगाए जाएं, इस पर विचार किया जाना चाहिए। पिछले दशकों से पेड़ लगाने के बावजूद आज स्थिति यह है कि धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। अब दान-दान के भरोसे बैठने के बजाए बिजनेस प्लान बनाना ही होगा।