नई टिहरी। पेयजल संकट से जूझ रहे स्कूल,कालेज और सरकारी दफ्तरों में अब एटमोसफियर वाटर जेनरेटर लोगों की प्यास बुझाएगा। यह तकनीकी 25 से 45 डिग्री तापमान और हवा में 25 से 85 प्रतिशत नमी रहने पर 100 प्रतिशत शुद्ध पानी जनरेट कर सकती है। टीएचडीसी ने अपने कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) मद से पायलेट प्रोजेक्ट के तहत पेयजल समस्या से जूझ रहे स्कूल-कालेजों को 15 एटमोसफियरिक वाटर जेनरेटर (एडब्ल्यूजी) मशीनें दी हैं। जिससे छात्रों को काफी राहत मिल रही है। बिजली से संचालित
एडब्ल्यूजी का पानी बंद बोतल पानी के मुकाबले काफी सस्ता और शुद्ध भी है। स्कूल-कालेज, सरकारी दफ्तर और सार्वजनिक कार्यक्रमों में अक्सर लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है। लेकिन अब हवा से पानी बनाने वाली एडब्ल्यूजी टैक्नोलॉजी यह समस्या दूर कर सकती है। पेयजल संकट से जूझ रहे स्कूलों की मांग पर टीएचडीसी सीएसआर ने पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिले में 60 लीटर प्रतिदिन क्षमता की 10 और 150 लीटर प्रतिदिन क्षमता की पांच मशीनें लगाई हैं। वहां पानी का उत्पादन तापमान और हवा में नमी पर निर्भर करेगा। 30 से 35 डिग्री तापमान और नमी 85 फीसदी रहने पर दिनभर में 100 प्रतिशत पानी जेनरेट हो सकेगा। 40 डिग्री तापमान और हवा में 30-35 फीसदी नमी में भी मशीन 80 फीसदी पानी जनरेट करेगी।
पौखाल डिग्री कालेज में पीटीए अध्यक्ष जयवीर सिंह रावत ने एडब्ल्यूजी मशीन का लोकापर्ण करते हुए कहा कि हवा से पानी बनाने वाली मशीन से कालेज में पेयजल समस्या का निदान होगा।
दो से तीन रुपये प्रति लीटर आएगी पानी की लागत
नई टिहरी। एडब्ल्यूजी मशीन की बिजली खपत काफी कम है। 150 लीटर की मशीन दो किलोवाट और 60 लीटर क्षमता वाली मशीन की खपत 1.1किलोवाट प्रतिघंटा है। इससे उत्पादित पानी की कीमत दो से तीन रुपये प्रति लीटर आएगी। खुले स्थान पर रखी जाने मशीन को सोलर ऊर्जा से भी संचालित किया जा सकता है। सेवा टीएचडीसी ने पायलेट प्रोजेक्ट के तहत पेयजल संकटग्रस्त हाईस्कूल गेंवली, प्राथमिक स्कूल गडुगाड, चारमीधार, जाखणीधार, रतोली, जीआईसी भरेटीधार, रजाखेत, डिग्री कालेज पौखाल, डिग्री कालेज अगरोड़ा, देवप्रयाग डिग्री कालेज और गजा तहसील को भी मशीन दी है। जहां मशीन लगाई गई है, वहां से अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
एडब्ल्यूजी डब्ल्यूएचओ और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) मानकों के अनुरूप है। यह शुद्ध मिनरल वाटर सप्लाई करता है-सुधांशु कुमार, प्रोडक्ट कॉर्डिनेटर इंजीनियर, मैत्री एक्वाटेक।
पेयजल लाइन से वंचित कई स्कूलों की ओर से पानी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया। ऐसे स्कूलों के लिए विकल्प के तौर पर एडब्ल्यूजी का परीक्षण किया गया तो उसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिले में 15 मशीनें लगाई गई हैं- प्रदीप कुमार नैथानी, महाप्रबंधक टीएचडीसी (सीएसआर)।