घटस्थापना के लिए 2 मुहूर्त: जानिए नवरात्रि पूजन विधि और पूजा में ध्यान रखी जाने वाली बातें, नवरात्रि में खरीदारी और नए कामों की होगी शुरुआत

महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है। जानिए कलश स्थापना, शुभ महूर्त और पूजा विधि।


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पंडित हर्षमणि बहुगुणा

चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो रही है। इसका आखिरी दिन 10 अप्रैल रहेगा। इस बार तिथियों का गणित नहीं बिगड़ रहा है। इसलिए देवी आराधना के लिए पूरे दिन मिलेंगे। नवरात्रि में कई शुभ संयोग रहेंगे। जिससे हर दिन खरीदारी की जा सकेगी।

आज घटस्थापना के लिए सिर्फ 2 ही शुभ मुहूर्त रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करना शुभ रहेगा। इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022,शनिवार को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। यदि इस मुहुर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजित काल में 11:48 से 12:37 तक कलश स्थापना कर सकते हैं।

अखंड नवरात्रि, हर दिन शुभ मुहूर्त

इस बार तिथियों की घटबढ़ नहीं होने से देवी पूजा के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे। अखंड नवरात्रि होना देश के लिए शुभ संयोग है। रेवती नक्षत्र में नवरात्रि की शुरुआत होना शुभ है। इसके देवता पूषा और स्वामी बुध है। इन 9 दिनों में सर्वार्थसिद्धि, पुष्य नक्षत्र, बुधादित्य, शोभन, पद्म और रवियोग रहेंगे। इस कारण हर दिन खरीदारी का मुहूर्त रहेगा। जिससे लोगों की इनकम और सुख-समृद्धि बढ़ेगी। लेन-देन और निवेश से लाभ होगा। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के भी योग हैं।

नवरात्रों का त्योहार भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है। वैसे तो पुराणों में एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्रों का जिक्र किया गया है, लेकिन चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है। महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है।

कलश स्थापना: ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का आह्वान

कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है।

कलश स्थापना क्यों

1. नवरात्रि में स्थापित किया गया कलश आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देता है।
2. कलश स्थापना से घर में शांति होती है। कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।

घटस्थापना के लिए जरूरी सामग्री

1. चौड़े मुँह वाला मिट्टी का एक बर्तन (जौ बोने के लिए)
2. साफ मिट्टी
3. सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
4. कलश मिट्टी का और कलश को ढकने के लिए ढक्कन
5. साफ जल और थोड़ा सा गंगाजल
6. कलश के मुंह में बांधने के लिए कलावा/मौली
7. सुपारी
8. आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
9. अक्षत (कच्चा साबुत चावल)
10. छिलके/जटा वाला नारियल
11. लाल कपड़ा
12. पुष्प और पुष्पमाला
13. दूर्वा
14. सिंदूर
15. पान
16. लौंग
17. इलायची
18. बताशा
19. मिठाई
20. मां दुर्गा की प्रतिमा

मां दुर्गा के मंत्र

-नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

-सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

-ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

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