कैरियर के अवसर के रूप में उद्यमिता और नवाचार पर कार्यशाला का आयोजन संपन्न

हिमशिखर खबर ब्यूरो।

Uttarakhand

इंस्टिट्यूट इनोवेशन सेल, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल द्वारा आज कैरियर के अवसर के रूप में उद्यमिता और नवाचार पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता मुकेश चंद्र केस्टवाल,वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक, इन्नोवेशन हब हेड स्टार्ट नेटवर्क फाउंडेशन बेंगलुरु थे। इन्होंने अपना वक्तव्य पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह बताया कि स्टार्टअप और उद्यमिता का क्या संबंध है और उसका क्या महत्व है।

 

आज स्टार्टअप और एंटरप्रेन्योरशिप क्यों महत्वपूर्ण है इसके बारे में विभिन्न उदाहरणों द्वारा विस्तार से बताया। उत्तराखंड में स्टार्टअप और एंटरप्रेन्योरशिप की क्या संभावनाएं हैं, क्या इस में रोजगार की संभावनाएं हैं इसको भी बताया और कहा कि सरकार इस में निरंतर मदद कर रही है। साथ ही यह भी बताया कि आज के युवा वर्ग को स्टार्टअप में क्यों जाना चाहिए ।उन्होंने यह बताया कि उत्तराखंड में ही स्टार्टअप की बहुत सारे संभावनाएं हैं, जैसे कोई पर्यटक यदि उत्तराखंड में भ्रमण हेतु आता है तो उसको एक स्थानीय निवासी व्यक्ति बहुत अच्छे तरीके से पर्यटक स्थलों का भ्रमण करा सकता है, उसको उसके महत्व को अच्छे से बता सकता है।

उन्होंने अपने स्लाइड के माध्यम से सरकार द्वारा जारी किए गए कई पॉलिसियों को भी बताया जिसमें सोलर एनर्जी पालिसी, टूरिज्म पॉलिसी, मुख्यमंत्री स्वरोजगार पालिसी, ऑर्गेनिक अर्थात फार्मास्युटिकल्स पॉलिसी इत्यादि के बारे में भी बताया ।साथ ही उन्होंने यह बताया की सेव की खेती और राजमा की खेती को उत्तराखंड में हम कैसे व्यापार के रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि युवाओं की मदद करने के लिए स्टार्टअप एक प्रभावी योजना है स्टार्टअप का मुख्य उद्देश्य व्यापार और उद्यमिता में बढ़ावा देना है जिससे देश में रोजगार और नौकरी का बढ़ावा हो ।यदि कोई छात्र रिसर्च के सेक्टर में जाता है तो अगर वह स्टार्टअप की तरफ ध्यान दें तो उसको सरकारी नौकरी की तरफ न जाकर अपना स्वरोजगार यदि करता है तो उसको बहुत ही आगे बढ़ने की संभावना है ।तत्पश्चात कार्यक्रम के संयोजक डॉ हीरालाल यादव जी द्वारा संयुक्त रुप से पैनल सेशन का सत्र भी संपन्न हुआ जिसमें प्रतिभागियों द्वारा स्टार्टअप से संबंधित कई प्रश्न किए गए जिसका मुख्य वक्ता द्वारा बहुत ही विस्तार से उन प्रश्नों का समाधान किया गया।कुछ प्रमुख प्रश्नों में यह था कि स्टार्टअप इकोसिस्टम को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसमें रोजगार की क्या संभावनाएं हैं ? इसको बहुत ही अच्छे से बताया। द्वितीय प्रश्न में यह पूछा गया कि स्टार्टअप में पेटेंट का क्या महत्व है ,इसको भी उन्होंने बहुत ही अच्छे से बताया। उन्होंने कई छोटे-छोटे योजनाओं को भी बताया और यह भी बताया कि जैसे उत्तराखंड राज्य में अगर कोई अचानक आपदा आती है तो उससे कैसे बचाव किया जा सकता है जैसे वर्ष 2013 में जो आपदा आई थी उसमें लोग इधर-उधर खो गए थे उनको कैसे खोजा जाए इसमें बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ा था । अगर कोई अचानक आपदा आए तो उससे कैसे बचा जाए अर्थात अगर कोई इधर उधर हो जाए , संपर्क ना हो पाए तो उसके लिए क्या व्यवस्था बनाई जाए इससे संबंधित क्या तकनीक विकसित की जाए अर्थात एक ऎसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे कि इस समस्या से निजात पाया जा सके, लोगों को खोजने में आसानी मिल हो सके, उनसे संपर्क आसानी से किया जा सके, इसको बड़े विस्तार से बताया। आपदा के मामलों में हम कैसे अपने नेटवर्क को मजबूत रख सकते हैं इसको भी बताया ।उन्होंने अपने वक्तव्य में वोकल फ़ॉर लोकल पर भी जोर दिया ।कई सारे प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया कि हम प्रोजेक्ट के जरिए अपने स्वरोजगार की संभावनाओं को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं ,पर्यटन के क्षेत्र में कैसे आगे बढ़े, पर्वतीय /पहाड़ी क्षेत्रों में कैसे इसको एक रोजगार के रूप में विकसित किया जा सकता है इसको भी बड़े अच्छे से बताया।

इन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में स्टार्ट अप को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं ।विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी स्टार्टअप को जोड़ा जाना चाहिए, छात्र विभाग में कैसे स्टार्टअप के जरिए प्रोडक्ट को खास तौर पर जो स्थानीय प्रोडक्ट जैसे जो कपड़े हैं या खाद्य पदार्थ हैं, फल है इनको कैसे सेल किया जा सकता है। प्रोडक्ट को यूनिवर्सिटी में कैसे बेचा जा सकता है इसके बारे में भी बहुत विस्तार से बताया।

कार्यक्रम का संचालन इंस्टिट्यूट इनोवेशन सेल के छात्रा सदस्य अक्षिता अग्रवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में इंस्टिट्यूट इनोवेशन सेल के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर आर एस नेगी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया ।धन्यवाद ज्ञापन आई आई सी के सदस्य डॉ विनीत कुमार मौर्या द्वारा दिया गया ।इस अवसर पर आई आई सी के उपाध्यक्ष डॉ आलोक सागर गौतम, कार्यक्रम के समन्वयक डॉ सुधीर कुमार चतुर्वेदी ,आई आई सी के शिक्षक सदस्य ,छात्र सदस्य निखिल ,महावीर प्रसाद ,करन सिंह, संजीव सिंह रावत ,प्रवीण कुमार ,अंशु देवली ,प्रद्युम्न गोसाई आदि उपस्थित थे।

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