डा. कमल टावरी (स्वामी कमलानंद)
गौमाता के संरक्षण और संवद्धर्न पर काम कर रहे डा. कमल टावरी (स्वामी कमलानंद) ने कहा कि हम लोग पूर्व सांसद आरके सिन्हा जी के आवास पर बातचीत कर रहे थे। गाय पर बात चली तो सिन्हा जी ने अपने पिछले दिनों अफ्रीकी देश केन्या की यात्रा का जिक्र किया। बताया कि केन्या में लोग देसी गायों की पूजा करते है। गायें की रक्षा के लिए लोग हर क्षण तत्पर रहते हैं। उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए बताया कि वहां पर मुश्लिम और ईसाई लोग भी गाय को बहुत सम्मान देते हैं। इसी तरह कई अफ्रीकी देशों में भी यही मान्यता है।
डा कमल टावरी ने कहा कि अनादिकाल से गाय का लौकिक और पारमार्थिक क्षेत्र में महत्व रहा है, इसलिए गाय को विश्व की माता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। ‘गावो विश्वस्य मातर:’ गाय के शरीर 33 करोड देवताओं का अधिवास रहता है।
हम गाय को नहीं पालते बल्कि गाय हमें पालती है। हमारा देश कृषि और ऋषि का देश है। गाय हमारी माता है। गाय के प्रति द्वापर युग के पहले से ही आकर्षण रहा है। गाय से हमें पंचगव्य की प्राप्ति होती है। दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र ये पांचों अमृत के समान हैं। देसी दवा में इनकी बड़ी उपयोगिता है। हम गोपाल की पूजा तो करते हैं, लेकिन उनके चरित्र को अपने जीवन तमें नहीं उतारते। पहले हरेक घर में गाय और गांव में गोशाला होती थी। आज हम पैकेटबंद और पाउडर के दूध सहारे हैं। गोपाल के मायने नूल गए हैं। हम लोग पाखड में अटक गए हैं। हैरत जताते हुए कहा कि लोग गाय का दूध देना बंद करने के बाद मरने के लिए सड़कों पर छोड़ देते हैं।
Gou Maa ki mahatta aur yathochit Gaurav to punah sthapit karne ke Bhagirath prayas ke liye Dr Kamal Taori Sir ka hriday se bahut bahut sadhuvaad