आईआईटी रुड़की में अनुसंधान-विकास को गति देने को सुपरकम्प्यूटिग केंद्र स्थापित

रुड़की

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में अनुसंधान और विकास को गति देने के लिए भारत में निर्मित पेटास्केल सुपर कम्प्यूटर स्थापित किया गया है। सेंटर फार डेवलपमेंट एडवांस कम्प्यूटिग (सी-डेक) की ओर से सुपरकम्प्यूटिग इंफ्रास्ट्रक्चर 1.66 को नेशनल सुपरकम्प्यूटिग मिशन के अंतर्गत स्थापित करने से विज्ञान और इंजीनियरिग के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बहुआयामी क्षेत्र में गति प्राप्त होगी। साथ ही इससे आइआइटी रुड़की और उसके आसपास की शैक्षणिक संस्थानों के उपभोक्ता वर्ग को कम्प्यूटेशनल पावर उपलब्ध होगी। यह विज्ञान और तकनीकी विभाग (डीएसटी) और इलेक्ट्रानिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है।

इस राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग सुविधा का आईआईटी रुड़की के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष बी.वी.आर. मोहन रेड्डी ने उद्घाटन किया। अपनी सफलता की निरंतर यात्रा के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) ने अब 1.66 पेटाफ्लॉप्स की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता के साथ आईआईटी रुड़की में एक सुपर कंप्यूटर ‘‘परम गंगा’’ की तैनाती की है। यह प्रणाली एनएसएम की चरण-2 की निर्माण पहुंच के तहत सी-डैक द्वारा डिजाइन और चालू की गई है। इस प्रणाली के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश घटकों को सी-डैक द्वारा स्वदेशी सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ भारत में निर्मित और असेंबल किया गया है। यह भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल की दिशा में एक कदम है। इस प्रकार के सुपरकंप्यूटर की उपलब्धता से आईआईटी रुड़की और उसके आसपास के शैक्षणिक संस्‍थानों के उपयोगकर्ता समुदाय को कम्‍प्‍यूटेशनल शक्ति प्रदान करने पर ध्‍यान देते हुए विज्ञान और इंजीनियरिंग के बहु-विषयी क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास गतिविधियों में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

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इस अवसर पर प्रोफेसर एके चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, डॉ. हेमंत दरबारी, मिशन निदेशक, एनएसएम, श्री नवीन कुमार, वैज्ञानिक डी, एनएसएम कार्यक्रम प्रभाग, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, प्रो. मनोरंजन परिदा उप-निदेशक, आईआईटी रुड़की, एसए कुमार, सलाहकार एनएसएम, श्री संजय वांधेकर, वरिष्ठ निदेशक, सी-डैक, पुणे और संयोजक- एनएसएम विशेषज्ञ समूह बुनियादी ढांचा, डॉ. शिवाजी चदारम, वैज्ञानिक – एफ, डीएसटी तथा इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, आईआईटी रुड़की और सी-डैक के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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