प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों संस्कृत में किया ट्वीट? कितने हजार साल पुरानी है यह भाषा, जानें खास जानकारी

नई दिल्ली

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विश्व संस्कृत दिवस या संस्कृत दिवस को विश्वसंस्कृतदिनम् के नाम से भी जाना जाता है। यह श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर में श्रावण के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता है। विश्व संस्कृत दिवस सबसे पहले 1969 में मनाया गया था।

संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य
22 अगस्त 2021 को पूरी दुनिया संस्कृत दिवस मना रही है। इसके मनाने का उद्देश्य यही है कि इस भाषा को और अधिक बढ़ावा मिले। भारत की नई पीढ़ी के लोगों में संस्कृत के प्रति रुझान लगभग खत्म होता जा रहा है। वहीं विदेशों में संस्कृत के प्रति गहरा लगाव हो रहा है। आज के युवाओं को लगता है कि संस्कृत भाषा काफी पुराने जमाने की भाषा है। इसको बोलने और पढ़ने में आज के लोग शर्माते है। ऐसे लोगों की सोच को बदलने के लिए विश्व संस्कृत दिवस मनाया जा रहा है।

विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास
भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति करीब 4 हजार साल पहले हुई। हिंदू धर्मग्रंथों में संस्कृत के मंत्रों को उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है। संस्कृत भाषा को देव वाणी अर्थात भगवान की भाषा भी कहा जाता है। वैदिक संस्कृति में माना जाता है कि ऋग्वेद में भजनों का एक संग्रह संस्कृत भाषा मेें लिखा गया था। संस्कृत भाषा में लगभग 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर बधाई दी है और लोगों के साथ संस्कृत में अपनी शुभकामनाएं साझा की हैं।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;

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“यह भाषा प्राचीन के साथ साथ आधुनिक भी है। इसमें गहन तत्त्व ज्ञान के साथ तरुण काव्य भी है। यह सरलता से अभ्यास के योग्य है एवं परम श्रेष्ठदर्शन से युक्त है। इसलिए संस्कृत भाषा को अधिक से अधिक लोग पढ़ें। सभी को संस्कृत दिवस की शुभकामनाएं।

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