मन की बात: PM मोदी ने होली की शुभकामनाएं दीं, बोले-त्योहार वोकल फॉर लोकल के साथ मनाएं

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई दिल्ली:

मन की बात की 98वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ पढ़िए-


मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ के इस 98वें एपिसोड में आप सभी के साथ जुड़कर मुझे बहुत खुशी हो रही है। century की तरफ बढ़ते इस सफर में, ‘मन की बात’ को, आप सभी ने, जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का, अद्भुत platform बना दिया है। हर महीने, लाखों सदेशों में, कितने ही लोगों के ‘मन की बात’ मुझ तक पहुँचती है। आप, अपने मन की शक्ति तो जानते ही हैं, वैसे ही, समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है, ये हमने ‘मन की बात’ के अलग-अलग Episodes में देखा है, समझा है, और मैंने अनुभव किया है – स्वीकार भी किया है। मुझे वो दिन याद है, जब हमने ‘मन की बात’ में भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की बात की थी। तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई भारतीय खेलों के जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की। ‘मन की बात’ में, जब, भारतीय खिलौनों की बात हुई, तो देश के लोगों ने,इसे भी, हाथों-हाथ बढ़ावा दे दिया। अब तो भारतीय खिलौनों का इतना craze हो गया है, कि, विदेशों में भी इनकी demand बहुत बढ़ रही है। जब ‘मन की बात’ में हमने story-telling की भारतीय विधाओं पर बात की, तो इनकी प्रसिद्धि भी, दूर-दूर तक पहुँच गई। लोग, ज्यादा से ज्यादा भारतीय story-telling की विधाओं की तरफ आकर्षित होने लगे।

साथियो, आपको याद होगा सरदार पटेल की जयन्ती यानी ‘एकता दिवस’ के अवसर पर ‘मन की बात’ में हमने तीन competitions की बात की थी। ये प्रतियोगिताएं, देशभक्ति पर ‘गीत’,‘लोरी’ और ‘रंगोली’ इससे जुडी थीं। मुझे, यह बताते हुए खुशी है, देशभर के 700 से अधिक जिलों के 5 लाख से अधिक लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया है। बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, सभी ने, इसमें, बढ़-चढ़कर भागीदारी की और 20 से अधिक भाषाओं में अपनी entries भेजी हैं। इन competitions में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई है। आपमें से हर कोई, अपने आप में, एक champion है, कला साधक है। आप सभी ने यह दिखाया है, कि, अपने देश की विविधता और संस्कृति के लिए आपके ह्रदय में कितना प्रेम है।

साथियो, आज इस मौके पर मुझे लता मंगेशकर जी, लता दीदी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। क्योंकि जब ये प्रतियोगिता प्रारंभ हुई थी, उस दिन लता दीदी ने tweet करके देशवासियों से आग्रह किया था कि वे इस प्रथा में जरुर जुड़ें।

साथियो, लोरी writing competition में, पहला पुरस्कार, कर्नाटक के चामराजनगर जिले के बी.एम. मंजूनाथ जी ने जीता है। इन्हें ये पुरस्कार कन्नड़ में लिखी उनकी लोरी ‘मलगू कन्दा’ (Malagu Kanda) के लिए मिला है। इसे लिखने की प्रेरणा इन्हें अपनी माँ और दादी के गाए लोरी-गीतों से मिली। आप इसे सुनेंगे तो आपको भी आनंद आएगा।

(Kannad Sound Clip (35 seconds) HINDI Translation)

“सो जाओ, सो जाओ, बेबी,

मेरे समझदार लाडले, सो जाओ,

दिन चला गया है और अन्धेरा है,

निद्रा देवी आ जायेगी,

सितारों के बाग से,

सपने काट लायेगी,

सो जाओ, सो जाओ,

जोजो…जो..जो..

जोजो…जो..जो..”

असम में कामरूप जिले के रहने वाले दिनेश गोवाला जी ने इस प्रतियोगिता में second prize जीता है। इन्होंने जो लोरी लिखी है, उसमें स्थानीय मिट्टी और metal के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के popular craft की छाप है।

(Assamese Sound Clip (35 seconds) HINDI Translation)

कुम्हार दादा झोला लेकर आये हैं,

झोले में भला क्या है?

खोलकर देखा कुम्हार के झोले को तो,

झोले में थी प्यारी सी कटोरी!

हमारी गुड़िया ने कुम्हार से पूछा,

कैसी है ये छोटी सी कटोरी!

गीतों और लोरी की तरह ही Rangoli Competition भी काफी लोकप्रिय रहा। इसमें हिस्सा लेने वालों ने एक से बढ़कर एक सुन्दर रंगोली बनाकर भेजी। इसमें winning entry, पंजाब के, कमल कुमार जी की रही। इन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अमर शहीद वीर भगत सिंह की बहुत ही सुन्दर रंगोली बनाई। महाराष्ट्र के सांगली के सचिन नरेंद्र अवसारी जी ने अपनी रंगोली में जलियांवाला बाग, उसका नरसंहार और शहीद उधम सिंह की बहादुरी को प्रदर्शित किया। गोवा के रहने वाले गुरुदत्त वान्टेकर जी ने गांधी जी की रंगोली बनाई, जबकि पुदुचेरी के मालातिसेल्वम जी ने भी आजादी के कई महान सेनानियों पर अपना focus रखा। देशभक्ति गीत प्रतियोगिता की विजेता,टी. विजय दुर्गा जी आन्ध्र प्रदेश की हैं। उन्होंने, तेलुगु में अपनी entry भेजी थी। वे अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नरसिम्हा रेड्डी गारू जी से काफी प्रेरित रही हैं। आप भी सुनिये विजय दुर्गा जी की entry का यह हिस्सा

(Telugu Sound Clip (27 seconds) HINDI Translation)

रेनाडू प्रांत के सूरज,

हे वीर नरसिंह!

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंकुर हो, अंकुश हो!

अंग्रेजों के न्याय रहित निरंकुश दमन कांड को देख

खून तेरा सुलगा और आग उगला!

रेनाडू प्रांत के सूरज,

हे वीर नरसिंह!

तेलुगु के बाद, अब मैं, आपको, मैथिली में एक clip सुनाता हूँ। इसे दीपक वत्स जी ने भेजा है। उन्होंने भी इस प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता है।

(Maithili Sound Clip (30 seconds) HINDI Translation)

भारत दुनियाँ की शान है भैया,

अपना देश महान है,

तीन दिशा समुन्द्र से घिरा,

उत्तर में कैलाश बलवान है,

गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी,

कोशी, कमला बलान है,

अपना देश महान है भैया,

तिरंगे में बसा प्राण है

साथियो, मुझे उम्मीद है, आपको ये पसंद आई होगी। प्रतियोगिता में आयी इस तरह की entries की list बहुत लम्बी है। आप, संस्कृति मंत्रालय की वेबसाईट पर जाकर, इन्हें, अपने परिवार के साथ देखें और सुनें – आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, बात बनारस की हो, शहनाई की हो, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी की हो, तो, स्वाभाविक है कि मेरा ध्यान उस तरफ जाएगा ही। कुछ दिन पहले ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ दिए गए। ये पुरस्कार music और performing arts के क्षेत्र में उभर रहे, प्रतिभाशाली कलाकारों को दिए जाते हैं। ये कला और संगीत जगत की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ ही इसकी समृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं। इनमें, वे कलाकार भी शामिल हैं, जिन्होंने, उन instruments में नई जान फूंकी है, जिनकी popularity समय के साथ कम होती जा रही थी। अब, आप सभी इस tune को ध्यान से सुनिए …

(Sound Clip (21 seconds) Instrument- ‘सुरसिंगार’, Artist -जॉयदीप मुखर्जी)

क्या आप जानते हैं ये कौन सा instrument है ? संभव है आपको पता न भी हो! इस वाद्यमंत्र का नाम ‘सुरसिंगार’ है और इस धुन को तैयार किया है जॉयदीप मुखर्जी ने। जॉयदीप जी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित युवाओं में शामिल हैं। इस instrument की धुनों को सुनना पिछले 50 और 60 के दशक से ही दुर्लभ हो चुका था, लेकिन, जॉयदीप, सुरसिंगार को फिर से Popular बनाने में जी-जान से जुटे हैं। उसी प्रकार बहन उप्पलपू नागमणि जी का प्रयास भी बहुत ही प्रेरक है, जिन्हें Mandolin में Carnatic Instrumental के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। वहीँ, संग्राम सिंह सुहास भंडारे जी को वारकरी कीर्तन के लिए यह पुरस्कार मिला है। इस list में सिर्फ संगीत से जुड़े कलाकार ही नहीं है – वी दुर्गा देवी जी ने, नृत्य की एक प्राचीन शैली,‘करकट्टम’ के लिए यह पुरस्कार जीता है। इस पुरस्कार के एक और विजेता, राज कुमार नायक जी ने, तेलंगाना के 31 जिलों में, 101 दिन तक चलने वाली पेरिनी ओडिसी का आयोजन किया था। आज, लोग, इन्हें, पेरिनी राजकुमार के नाम से जानने लगे हैं। पेरिनी नाट्यम, भगवान शिव को समर्पित एक नृत्य है, जो काकतीय Dynasty के दौर में काफी लोकप्रिय था। इस Dynasty की जड़ें आज के तेलंगाना से जुड़ी हैं। एक अन्य पुरस्कार विजेता साइखौम सुरचंद्रा सिंह जी हैं। ये मैतेई पुंग Instrument बनाने में अपनी महारत के लिए जाने जाते हैं। इस Instrument का मणिपुर से नाता है। पूरन सिंह एक दिव्यांग कलाकार हैं, जो, राजूला-मलुशाही, न्यौली, हुड़का बोल, जागर जैसी विभिन्न Music Forms को लोकप्रिय बना रहे हैं। इन्होंने इनसे जुड़ी कई Audio Recordings भी तैयार की हैं। उत्तराखंड के Folk Music में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर पूरन सिंह जी ने कई पुरस्कार भी जीते हैं। समय की सीमा के चलते, मैं, यहाँ, सभी Awardees की बातें भले न कर पाऊं, लेकिन मुझे विश्वास है कि, आप, उनके बारे में जरुर पढ़ेंगे। मुझे उम्मीद है, कि, ये सभी कलाकार, Performing Arts को और Popular बनाने के लिए Grassroots पर सभी को प्रेरित करते रहेंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, तेजी से आगे बढ़ते हमारे देश में Digital India की ताकत कोने-कोने में दिख रही है। Digital India की शक्ति को घर-घर पहुँचाने में अलग-अलग Apps की बड़ी भूमिका होती है। ऐसा ही एक App है, E-Sanjeevani। इस App से Tele-consultation, यानी, दूर बैठे, video conference के माध्यम से, डॉक्टर से, अपनी बीमारी के बारे में सलाह कर सकते हैं। इस App का उपयोग करके अब तक Tele-consultation करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। आप कल्पना कर सकते हैं। video conference के माध्यम से 10 करोड़ Consultations! मरीज और डॉक्टर के साथ अद्भुत नाता – ये बहुत बड़ी achievement है। इस उपलब्धि के लिए, मैं, सभी डॉक्टरों और इस सुविधा का लाभ उठाने वाले मरीजों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। भारत के लोगों ने, तकनीक को, कैसे, अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, ये इसका जीता-जागता उदाहरण है। हमने देखा है कि कोरोना के काल में E-Sanjeevani App इसके जरिए Tele-consultation लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है। मेरा भी मन हुआ, कि क्यों ना इसके बारे में ‘मन की बात’ में हम एक डॉक्टर और एक मरीज से बात करें, संवाद करें और आप तक बात को पहुंचाएं| हम ये जानने की कोशिश करें कि, Tele-consultation, लोगों के लिए, आखिर, कितना प्रभावी रहा है। हमारे साथ सिक्किम से डॉक्टर मदन मणि जी हैं। डॉक्टर मदन मणि जी रहने वाले सिक्किम के ही हैं, लेकिन उन्होंने MBBS धनबाद से किया और फिर Banaras Hindu University से MD किया। वो ग्रामीण इलाकों के सैकड़ों लोगों को Tele-consultation दे चुके हैं।

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार… नमस्कार मदन मणि जी।

डॉ. मदन मणि: जी नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री जी: मैं नरेन्द्र मोदी बोल रहा हूँ।

डॉ. मदन मणि: जी… जी सर।

प्रधानमंत्री जी: आप तो बनारस में पढ़े हैं।

डॉ. मदन मणि: जी मैं बनारस में पढ़ा हूँ सर|

प्रधानमंत्री जी: आपका medical education वहीँ हुआ।

डॉ. मदन मणि: जी… जी।

प्रधानमंत्री जी: तो जब आप बनारस में थे तब का बनारस और आज बदला हुआ बनारस कभी देखने गए कि नहीं गए।

डॉ. मदन मणि: जी प्रधानमत्री जी मैं जा नहीं पाया हूँ, जबसे में वापस सिक्किम आया हूँ, लेकिन मैंने सुना है कि काफी बदल गया है।

प्रधानमंत्री जी: तो कितने साल हो गए आपको बनारस छोड़े ?

डॉ. मदन मणि: बनारस 2006 से छोड़ा हुआ हूँ सर।

प्रधानमंत्री जी: ओह… फिर तो आपको जरुर जाना चाहिए।

डॉ. मदन मणि: जी… जी।

प्रधानमंत्री जी: अच्छा, मैंने फ़ोन तो इसलिए किया कि आप सिक्किम के अंदर दूर-सुदूर पहाड़ों में रहकर के वहाँ के लोगों को Tele Consultation का बहुत बड़ी सेवाएँ दे रहे हैं।

डॉ. मदन मणि: जी।

प्रधानमंत्री जी: मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को आपका अनुभव सुनाना चाहता हूँ।

डॉ. मदन मणि: जी।

प्रधानमंत्री जी: जरा मुझे बताइए, कैसा अनुभव रहा ?

डॉ. मदन मणि: अनुभव, बहुत बढ़िया रहा प्रधानमंत्री जी। क्या है कि सिक्किम में बहुत नजदीक का जो PHC है, वहाँ जाने के लिए भी लोगों को गाड़ी में चढ़ के कम-से-कम एक-दो सौ रूपया ले के जाना पड़ता है। और डॉक्टर मिले, नहीं मिले ये भी एक problem है। तो Tele Consultation के माध्यम से लोग हम लोग से सीधे जुड़ जाते हैं, दूर-दराज के लोग। Health & Wellness Centre के जो CHOs होते हैं, वो लोग, हम लोग से, connect करवा देते हैं। और हम लोग का जो पुरानी उनकी बीमारी है उनकी reports, उनका अभी का present condition सारी चीज़ें वो हम लोग को बता देते हैं।

प्रधानमंत्री जी: यानि document transfer करते हैं।

डॉ. मदन मणि: जी.. जी। Document transfer भी करते हैं और अगर transfer नहीं कर सके तो वो पढ़ के हम लोगों को बताते हैं।

प्रधानमंत्री जी: वहाँ का Wellness Centre का doctor बताता है।

डॉ. मदन मणि: जी, Wellness Centre में जो CHO रहता है, Community Health Officer।

प्रधानमंत्री जी: और जो patient है वो अपनी कठिनाईयाँ आपको सीधी बताता है।

डॉ. मदन मणि: जी, patient भी कठिनाइयाँ हम को बताता है। फिर पुराने records देख के फिर अगर कोई नई चीज़ें हम लोगों को जानना है। जैसे किसी का Chest Auscultate करना है, अगर उनको पैर सूजा है कि नहीं ? अगर CHO ने नहीं देखा है तो हम लोग उसको बोलते है कि जाके देखो सूजन है, नहीं है, आँख देखो, anaemia है कि नहीं है, उसका अगर खाँसी है तो Chest को Auscultate करो और पता करो कि वहाँ पे sounds है कि नहीं।

प्रधानमंत्री जी: आप Voice Call से बात करते हैं या Video Call का भी उपयोग करते हैं ?

डॉ. मदन मणि: जी, Video Call का उपयोग करते हैं।

प्रधानमंत्री जी: तो आप Patient को भी, आप भी देखते हैं।

डॉ. मदन मणि: Patient को भी देख पाते हैं, जी।

प्रधानमंत्री जी: Patient को क्या feeling आता है ?

डॉ. मदन मणि: Patient को अच्छा लगता है क्योंकि डॉक्टर को नज़दीक से वो देख पाता है। उसको confusion रहता है कि उसका दवा घटाना है, बढ़ाना है, क्योंकि, सिक्किम में ज्यादातर जो patient होते हैं, वो, diabetes, Hypertension के आते हैं और एक diabetes और hypertension के दवा को change करने के लिये उसको डॉक्टर मिलने के लिए कितना दूर जाना पड़ता है। लेकिन Tele Consultation के through वहीँ मिल जाता है और दवा भी health & Wellness Centre में Free Drugs initiative के through मिल जाता है। तो वहीँ से दवा भी लेके जाता है वो।

प्रधानमंत्री जी: अच्छा मदन मणि जी, आप तो जानते ही हैं कि patient का एक स्वभाव रहता है कि जब तक वो डॉक्टर आता नहीं है, डॉक्टर देखता नहीं है, उसको संतोष नहीं होता है और डॉक्टर को भी लगता है जरा मरीज को देखना पड़ेगा, अब वहाँ सारा ही Telecom में Consultation होता है तो डॉक्टर को क्या feel होता है, patient को क्या feel होता है ?

डॉ. मदन मणि: जी, वो हम लोग को भी लगता है कि अगर patient को लगता है कि डॉक्टर को देखना चाहिए, तो हम लोग को, जो-जो चीज़ें देखना है, वो, हम लोग,CHO को बोल के, video में ही हम लोग देखने के लिए बोलते हैं। और कभी-कभी तो patient को video में ही नजदीक में आ के उसकी जो परेशानियाँ है अगर किसी को चर्म का problem है, skin का problem है तो वो हम लोग को video से ही दिखा देते हैं। तो संतुष्टि रहता है उन लोगों को।

प्रधानमंत्री जी: और बाद में उसका उपचार करने के बाद उसको संतोष मिलता है, क्या अनुभव आता है ? Patient ठीक हो रहे हैं?

डॉ. मदन मणि: जी, बहुत संतोष मिलता है। हमको भी संतोष मिलता है सर। क्योंकि मैं अभी स्वास्थ्य विभाग में हूँ और साथ-साथ में Tele Consultation भी करता हूँ तो file के साथ-साथ patient को भी देखना मेरे लिए बहुत अच्छा, सुखद अनुभव रहता है।

प्रधानमंत्री जी: Average, कितने patient आपको Tele Consultation case आते होंगे ?

डॉ. मदन मणि: अभी तक मैंने 536 patient देखे हैं।

प्रधानमंत्री जी: ओह… यानि आपको काफी इसमें महारथ आ गई है।

डॉ. मदन मणि: जी, अच्छा लगता है देखने में।

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ। इस Technology का उपयोग करते हुए आप सिक्किम के दूर-सुदूर जंगलों में, पहाड़ों में रहने वाले लोगों की इतनी बड़ी सेवा कर रहे हैं। और खुशी की बात है कि हमारे देश के दूर-दराज क्षेत्र में भी technology का इतना बढ़िया उपयोग हो रहा है। चलिए, मेरी तरफ़ से आपको बहुत-बहुत बधाई।

डॉ. मदन मणि: Thank You!

साथियो, डॉक्टर मदन मणि जी की बातों से साफ़ है कि E-Sanjeevani App, किस तरह उनकी मदद कर रहा है। डॉक्टर मदन जी के बाद अब हम एक और मदन जी से जुड़ते हैं। ये उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले मदन मोहन लाल जी हैं। अब ये भी संयोग है कि चंदौली भी बनारस से सटा हुआ है। आइये मदन मोहन जी से जानते हैं कि E-Sanjeevani को लेकर एक मरीज के रूप में उनका अनुभव क्या रहा है ?

प्रधानमंत्री जी: मदन मोहन जी, प्रणाम !

मदन मोहन जी: नमस्कार, नमस्कार साहब।

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार! अच्छा, मुझे बताया गया है कि आप diabetes के मरीज हैं।

मदन मोहन जी: जी।

प्रधानमंत्री जी: और आप technology का उपयोग करके Tele-Consultation कर-कर के अपनी बीमारी के संबंध में मदद लेते हैं।

मदन मोहन जी: जी।

प्रधानमंत्री जी: एक patient के नाते, एक दर्दी के रूप में, मैं, आपके अनुभव सुनना चाहता हूँ, ताकि, मैं, देशवासियों तक इस बात को पहुँचाना चाहूँ कि आज की technology से हमारे गाँव में रहने वाले लोग भी किस प्रकार से इसका उपयोग भी कर सकते हैं। जरा बताइये कैसे करते हैं ?

मदन मोहन जी: ऐसा है सर जी, हॉस्पिटलें दूर हैं और जब diabetes हमको हुआ तो हम को जो है 5-6 किलोमीटर दूर जा कर के इलाज करवाना पड़ता था, दिखाना पड़ता था। और जब से व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है। इसे है कि हम अब जाता हूँ, हमारा जांच होता है, हमको बाहर के डॉक्टरों से बात भी करा देती हैं और दवा भी दे देती हैं। इससे हमको बड़ा लाभ है और, और लोगों को भी लाभ है इससे।

प्रधानमंत्री जी: तो एक ही डॉक्टर हर बार आपको देखते हैं कि डॉक्टर बदलते जाते है ?

मदन मोहन जी: जैसे उनको नहीं समझ, डॉक्टर को दिखा देती हैं। वो ही बात करके दूसरे डॉक्टर से हमसे बात कराती हैं।

प्रधानमंत्री जी: और डॉक्टर आपको जो guidance देते हैं वो आपको पूरा फायदा होता है उससे।

मदन मोहन जी: हमको फायदा होता है। हमको उससे बहुत बड़ा फायदा है। और गाँव के लोगों को भी फायदा उससे है। सभी लोग वहाँ पूछते हैं कि भईया हमारा BP है, हमारा sugar है, test करो, जांच करो, दवा बताओ। और पहले तो 5-6 किलोमीटर दूर जाते थे, लम्बी लाईन लगी रहती थी, Pathology में लाइन लगी रहती थी। एक-एक दिन का समय नुकसान होता था।

प्रधानमंत्री जी: मतलब, आपका समय भी बच जाता है।

मदन मोहन जी: और पैसा भी व्यय होता था और यहाँ पर नि:शुल्क सेवाएँ सब हो रही हैं।

प्रधानमंत्री जी: अच्छा, जब आप अपने सामने डॉक्टर को मिलते हैं तो एक विश्वास बनता है। चलो भई, डॉक्टर है, उन्होंने मेरी नाड़ी देख ली है, मेरी आँखें देख ली है, मेरा जीभ को भी check कर लिया है। तो एक अलग feeling आता है। अब ये Tele Consultation करते हैं तो वैसा ही संतोष होता है आपको ?

मदन मोहन जी: हाँ, संतोष होता है। के वो हमारी नाड़ी पकड़ रहे हैं, आला लगा रहे हैं, ऐसा मुझे महसूस होता है और हमको बड़ा तबीयत खुश होती है कि भई इतनी अच्छी व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है कि जिससे कि हमको यहाँ परेशानी से जाना पड़ता था, गाड़ी का भाड़ा देना पड़ता था, वहाँ लाईन लगाना पड़ता था। और सारी सुविधाएँ हमको घर बैठे-बैठे मिल रही हैं।

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मदन मोहन जी मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामनाएं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी आप technology को सीखे हैं, technology का उपयोग करते है। औरों को भी बताइए ताकि लोगों का समय भी बच जाए, धन भी बच जाए और उनको जो भी मार्गदर्शन मिलता है उससे दवाईयाँ भी अच्छे ढंग से हो सकती हैं।

मदन मोहन जी: हाँ, और क्या।

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं आपको मदन मोहन जी।

मदन मोहन जी: बनारस को साहब आपने काशी विश्वनाथ स्टेशन बना दिया, development कर दिया। ये आपको बधाई है हमारी तरफ़ से।

प्रधानमंत्री जी: मैं आपका धन्यवाद करता हूँ। हमने क्या बनाया जी, बनारस के लोगों ने बनारस को बनाया है। नहीं तो, हम तो माँ गंगा की सेवा के लिए, माँ गंगा ने बुलाया है, बस, और कुछ नहीं। ठीक है जी, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको। प्रणाम जी।

मदन मोहन जी: नमस्कार सर !

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार जी !

साथियो, देश के सामान्य मानवी के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, E-Sanjeevani, जीवन रक्षा करने वाला App बन रहा है। ये है भारत की digital क्रान्ति की शक्ति। और इसका प्रभाव आज हम हर क्षेत्र में देख रहे हैं। भारत के UPI की ताकत भी आप जानते ही हैं। दुनिया के कितने ही देश, इसकी तरफ आकर्षित हैं। कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच UPI-Pay Now Link launch किया गया। अब, सिंगापुर और भारत के लोग, अपने मोबाईल फ़ोन से उसी तरह पैसे transfer कर रहे हैं जैसे वे अपने-अपने देश के अन्दर करते हैं। मुझे खुशी है कि लोगों ने इसका लाभ उठाना शुरू कर दिया है। भारत का E-Sanjeevani App हो या फिर UPI, ये Ease of Livingको बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब किसी देश में विलुप्त हो रहे किसी पक्षी की प्रजाति को, किसी जीव-जंतु को बचा लिया जाता है, तो उसकी पूरी दुनिया में चर्चा होती है। हमारे देश में ऐसी अनेकों महान परम्पराएँ भी हैं जो लुप्त हो चुकी थी, लोगों के मन-मस्तिष्क से हट चुकी थी, लेकिन अब इन्हें जनभागीदारी की शक्ति से पुनर्जीवित करने का प्रयास हो रहा है तो इसकी चर्चा के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर मंच और क्या होगा ?

अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो जानकर वाकई आपको बहुत प्रसन्नता होगी, विरासत पर गर्व होगा। अमेरिका में रहने वाले कंचन बैनर्जी ने विरासत के संरक्षण से जुड़े ऐसे ही एक अभियान की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया है। मैं उनका अभिनंदन करता हूँ। साथियो, पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के बांसबेरिया में, इस महीने, ‘त्रिबेनी कुम्भो मोहोत्शौव’ का आयोजन किया गया। इसमें आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह इतना विशेष क्यों है? विशेष इसलिए, क्योंकि, इस प्रथा को 700 साल के बाद पुनर्जीवित किया गया है। यूं तो ये परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है लेकिन दुर्भाग्य से 700 साल पहले बंगाल के त्रिबेनी में होने वाला ये महोत्सव बंद हो गया था। इसे आजादी के बाद शुरू किया जाना चाहिए था, लेकिन, वो भी नहीं हो पाया। दो वर्ष पहले, स्थानीय लोग और ‘त्रिबेनी कुंभो पॉरिचालोना शॉमिति’ के माध्यम से, ये महोत्सव, फिर शुरू हुआ है। मैं इसके आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप, सिर्फ एक परंपरा को ही जीवित नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप, भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा भी कर रहे हैं।

साथियो, पश्चिम बंगाल में त्रिबेनी को सदियों से एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। इसका उल्लेख, विभिन्न मंगलकाव्य, वैष्णव साहित्य, शाक्त साहित्य और अन्य बंगाली साहित्यिक कृतियों में भी मिलता है। विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है, कि, कभी ये क्षेत्र, संस्कृत, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का केंद्र था। कई संत इसे माघ संक्रांति में कुंभ स्नान के लिए पवित्र स्थान मानते हैं। त्रिबेनी में आपको कई गंगा घाट, शिव मंदिर और टेराकोटा वास्तुकला से सजी प्राचीन इमारतें देखने को मिल जाएंगी। त्रिबेनी की विरासत को पुनर्स्थापित करने और कुंभ परंपरा के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए यहां पिछले साल कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। सात सदियों बाद, तीन दिन के कुंभ महास्नान और मेले ने, इस क्षेत्र में, एक नई ऊर्जा का संचार किया है। तीन दिनों तक हर रोज होने वाली गंगा आरती, रुद्राभिषेक और यज्ञ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस बार हुए महोत्सव में विभिन्न आश्रम, मठ और अखाड़े भी शामिल थे। बंगाली परंपराओं से जुड़ी विभिन्न विधाएं जैसे कीर्तन, बाउल, गोड़ियों नृत्तों, स्री-खोल, पोटेर गान, छोऊ-नाच, शाम के कार्यक्रमों में, आकर्षण का केंद्र बने थे। हमारे युवाओं को देश के सुनहरे अतीत से जोड़ने का यह एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। भारत में ऐसी कई और practices हैं, जिन्हें revive करने की जरुरत है। मुझे आशा है, कि, इनके बारे में होने वाली चर्चा, लोगों को इस दिशा में जरुर प्रेरित करेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत अभियान में हमारे देश में जन भागीदारी के मायने ही बदल दिए हैं। देश में कहीं पर भी कुछ स्वच्छता से जुड़ा हुआ होता है, तो लोग इसकी जानकारी मुझ तक जरुर पहुंचाते हैं। ऐसे ही मेरा ध्यान गया है, हरियाणा के युवाओं के एक स्वच्छता अभियान पर। हरियाणा में एक गाँव है – दुल्हेड़ी। यहाँ के युवाओं ने तय किया हमें भिवानी शहर को स्वच्छता के मामले में एक मिसाल बनाना है। उन्होंने युवा स्वच्छता एवं जन सेवा समिति नाम से एक संगठन बनाया। इस समिति से जुड़े युवा सुबह 4 बजे भिवानी पहुँच जाते हैं। शहर के अलग-अलग स्थलों पर ये मिलकर सफाई अभियान चलाते हैं। ये लोग अब तक शहर के अलग-अलग इलाकों से कई टन कूड़ा साफ़ कर चुके हैं।

साथियो, स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण आयाम वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) भी है। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की एक बहन कमला मोहराना एक स्वयं सहायता समूह चलाती हैं। इस समूह की महिलाएं दूध की थैली और दूसरी प्लास्टिक पैकिंग से टोकरी और मोबाइल स्टैंड जैसी कई चीजें बनाती हैं। ये इनके लिए स्वच्छता के साथ ही आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन रहा है। हम अगर ठान लें तो स्वच्छ भारत में अपना बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। कम-से-कम प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़े के बैग का संकल्प तो हम सबको ही लेना चाहिए। आप देखेंगे, आपका ये संकल्प आपको कितना सन्तोष देगा, और दूसरे लोगों को ज़रूर प्रेरित करेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने और आपने साथ जुड़कर एक बार फिर कई प्रेरणादायी विषयों पर बात की। परिवार के साथ बैठकर के उसे सुना और अब उसे दिनभर गुनगुनाएंगे भी। हम देश की कर्मठता की जितनी चर्चा करते हैं, उतनी ही हमें ऊर्जा मिलती है। इसी ऊर्जा प्रवाह के साथ चलते-चलते आज हम ‘मन की बात’ के 98वें एपिसोड के मुकाम तक पहुँच गए हैं। आज से कुछ दिन बाद ही होली का त्यौहार है। आप सभी को होली की शुभकामनाएँ| हमें, हमारे त्यौहार वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) के संकल्प के साथ ही मनाने हैं। अपने अनुभव भी मेरे साथ share करना न भूलियेगा। तब तक के लिये मुझे विदा दीजिये। अगली बार हम फिर नये विषयों के साथ मिलेंगे। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *