नई टिहरी।
राजशाही के जमाने से मख्लवाणु में राज बग्वाल (दीपावली) मनाने की परंपरा आज भी जिंदा है। मंगलवार आज गांव के लोग स्वांले-पकोड़े बनाकर और भैले जलाकर राज बग्वाल का जश्न मना रहे हैं। लोगों ने पहाड़ी व्यंजनों से भगवान को भोग लगाने के बाद राज बग्वाल का पर्व मनाया। खास बात यह है कि पटाखे फोडऩे के बजाय गांव के लोगों ने भैला खेलकर खुशी मना रहे हैं।
अब राजशाही रही न ही रजवाड़े हैं, फिर भी उनकी बनाई परंपराएं टिहरी में आज भी जीवंत हैं। टिहरी के कुछ गाँव में राजशाही के दौर से बड़ी दीपावली से दो दिन पूर्व इस त्योहार को मनाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में राज बग्वाल कहा जाता है। चंबा नगर क्षेत्र के नजदीक मख्लवाणु गांव में भी आज राज बग्वाल (दीपावली) मनाई जा रही है।
राज बग्वाल मनाने के लिए इस बार भी देहरादून और अन्य स्थानों से लोग गांव पहुंचे हैं। मंगलवार को ग्रामीण राज बग्वाल को मनाने के लिए रात को स्वांले-पकोड़े बनाएं। उसके बाद रात को भेला खेल रहे हैं।
गांव के दीवान सिंह कुंवर का कहना है कि राजशाही के समय से बड़ी दीपावली से दो दिन पूर्व राज बग्वाल मनाने की परंपरा रही है। स्वांले-पकोड़े बनाकर भैला भी खेला जा रहा है। उन्होंने बताया कि त्योहार में शरीक होने के लिए अन्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।