नई दिल्ली
दिल्ली मिशन ने चली आ रही परंपरा से हट कर आज 31 नवंबर को रामदिवस मनाया. विदित हो कि आज तक यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष दीपावली के दिन सम्पन्न होता था.
अपने पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार यह आयोजन वैदिक मंत्रों के बीच हवन से शुरू हुआ.
इसके बाद झंडेवालान् मैट्रो के पास स्थित स्वामी रामतीर्थ वाटिका में स्थापित मूर्ति पर रामप्रेमियों की उपस्थिति में माल्यार्पण किया गया.
स्वामी जी की अद्वैतपरक गायी गई गजलों ने पूरे माहौल को अध्यात्म की पवित्र खुशबू से महका दिया.
इस अवसर पर बहन अमृत ने कहा कि जन्म हो, संन्यास हो या फिर महानिर्वाण स्वामी जी के जीवन में सब अलौकिक था. हमें भूलना नहीं चाहिए कि ऐसी विभूतियां बरसों में इस धरती पर आती हैं.जीता-जागता वेदान्त थे स्वामी जी.
काका हरिओम् ने स्वामी जी द्वारा बताए गए आध्यात्मिक नियमों की चर्चा करते हुए कहा कि स्वामी जी ने एक्पेरीमेंटल वेदान्त की उपयोगिता पर बल दिया. आज इस प्रयोग की नई पीढ़ी को बहुत आवश्यकता है.
डॉ. स्वामी शिवचरण दास जी महाराज का कहना था कि दीपपर्व पर स्वामी जी के जीवन से तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का संबंध संकेत है कि वह समूचे विश्व को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करना चाहते थे. अंधकार को नष्ट करने का साधन केवल प्रकाश है.