रमा एकादशी आज: भगवान नारायण के साथ लक्ष्मी पूजा की भी परंपरा, जानिए व्रत और पूजा की विधि

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

रमा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस एकादशी का नाम लक्ष्मी जी के नाम पर रखा गया है इसीलिए इसे रमा एकादशी कहते हैं। इस साल रमा एकादशी आज है। आज के दिन मां लक्ष्मी के रमा स्वरूप की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। पद्म पुराण में इस व्रत का महत्व बताया गया है।

व्रत और पूजा की विधि

सुबह जल्दी उठकर नहाएं और पूजा के साथ व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में बिना कुछ खाए पिए या फिर एक समय फलाहार किया जा सकता है। सुबह भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करें। भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद बांट दें। फिर ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए।

तुलसी, आंवले और पीपल पेड़ की पूजा

इस एकादशी पर तुलसी, आंवले और पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। कार्तिक महीना होने से इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन इन तीनों पेड़-पौधों की पूजा करने से कई यज्ञों को करने का पुण्य मिलता है। इस एकादशी पर दीपदान भी किया जाता है। इस दिन तुलसी, आंवले और पीपल के पेड़ सहित मंदिरों और नदी, तालाबों के किनारे दीपदान करने से पाप कम हो जाते हैं।

इस एकादशी का महत्व

पुराणों के मुताबिक रमा एकादशी व्रत से कामधेनु और चिंतामणि के समान फल मिलता है। इस व्रत को करने से समृद्धि और संपन्नता बढ़ती है। इस व्रत से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। पद्म पुराण का कहना है कि रमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है। मृत्यु के बाद विष्णु लोक मिलता है।

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