नई दिल्ली
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा, ‘‘बढ़ती हुई महामारी की पृष्ठभूमि में जहां अधिकांश देशों ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेजों की शुरुआत की, वहीं भारत सरकार ने एक अलग त्वरित नीति को अपनाया।’’ आर्थिक समीक्षा बताती है कि महामारी के प्रारंभिक चरण में राजकोषीय नीति के जरिए समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सबसे खराब परिणामों से बचाने के लिए सुरक्षा-जाल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आर्थिक गतिविधियों की बहाली के साथ राजकोषीय नीति में अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने पर जोर दिया गया था। 2020-21 की तीसरी तिमाही में आवाजाही और स्वास्थ्य संबंधी प्रतिबंधों में ढील के साथ अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा प्रभाव वाले क्षेत्रों में व्यय को प्रोत्साहन देने के लिए पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी की गई। आर्थिक समीक्षा 2021-22 में मुख्य आकलन इस प्रकार हैं:
राजकोषीय घाटा
लेखा महानियंत्रक द्वारा जारी अप्रैल से नवंबर 2021 के सरकारी लेखा के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर 2021 के अंत में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा नवंबर 2021 में बीई का 46.2 प्रतिशत था, जो कि 2021 की इसी अवधि के दौरान 135.1 प्रतिशत और 2019-20 की इसी अवधि के दौरान 114.8 प्रतिशत था। इस अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा और प्राथमिक घाटा दोनों पिछले दो वर्षों के इसी स्तर से काफी नीचे रहे। अप्रैल से नवंबर 2021 की अवधि के दौरान प्राथमिक घाटा अप्रैल से नवंबर 2019 के दौरान के स्तर से लगभग आधा हो गया। मौजूदा वर्ष में होने वाला राजकोषीय घाटा अधिक वास्तविक रहा और इसके चलते बहुत से बजट से बाहर के उत्पादों को जैसे एफसीआई की खाद्य सब्सिडी जरूरतों को बजट आवंटन मिला
राजस्व संग्रह
केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल से नवंबर 2021 की अवधि में पिछले दो सालों की तुलना में राजकोषीय स्थिति को मजबूत किया गया। इसके पीछे राजस्व संग्रह में उछाल और पूंजीगत व्यय की ओर लक्षित राजस्व संग्रह और व्यय आवंटन मुख्य रूप से शामिल थे। चालू वित्त वर्ष के दौरान पिछले दो वर्ष की इसी अवधि की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में बहुत अधिक गति से वृद्धि हुई। यह प्रदर्शन कर और गैर कर राजस्व दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण संभव हुआ। केंद्र को शुद्ध कर राजस्व, जिसे 2020-21 पीए के सापेक्ष 2021-22 बीई में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ाने की परिकल्पना की गई थी, वह अप्रैल से अक्टूबर 2020 की तुलना में अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान 64.9 प्रतिशत, जबकि अप्रैल से नवंबर 2019 की तुलना में अप्रैल से अक्टूबर 2020 तक बढ़कर 51.2 प्रतिशत हो गया।
प्रत्यक्ष कर
प्रत्यक्ष करों के भीतर व्यक्तिगत आयकर में अप्रैल-नवंबर 2019 के 29.2 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2020 में 47.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। कॉरपोरेट आयकर में अप्रैल-नवंबर 2020 के दोरान 90.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अप्रैल-नवंबर 2019 में कॉरपोरेट आयकर में 22.5 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज हुई थी।
अप्रत्यक्ष कर
अप्रत्यक्ष कर प्राप्तियों में चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में सालाना आधार पर 38.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। विनिर्माण क्षेत्र और उपभोक्ता मांग दोनों में सुधार के कारण वस्तुओं ओर सेवाओं के आयात में वृद्धि से सीमा शुल्क संग्रह में वृद्धि हुई है। अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान सीमा शुल्क से राजस्व संग्रह में अप्रैल से नवंबर 2020 की तुलना में लगभग 100 प्रतिशत और अप्रैल से नवंबर 2019 की तुलना में 65 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क से राजस्व में 23.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान केंद्र के लिए जीएसटी संग्रह बीई का 61.4 प्रतिशत रहा। अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान सकल जीएसटी संग्रह केंद्र और राज्यों को मिलाकर 10.74 लाख करोड़ रुपए था, अर्थात् अप्रैल से दिसंबर 2020 तक सकल जीएसटी संग्रह में 61.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अप्रैल से दिसंबर 2019 की तुलना में सकल जीएसटी संग्रह में 33.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
गैर कर राजस्व संग्रह
नवंबर 2021 तक गैर कर राजस्व संग्रह में सालाना आधार पर 79.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि लाभांश और मुनाफे से प्रेरित थी, जो 1.04 लाख करोड़ रुपए के बीई के मुकाबले 1.28 लाख करोड़ रुपए थी। इस अवधि के दौरान लाभांश और मुनाफे का प्रमुख घटक आरबीआई से केंद्र सरकार को 0.99 लाख करोड़ रुपए अधिशेष का अंतरण था।
व्यय
अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान सरकार का कुल व्यय 8.8 प्रतिशत बढ़ा और यह बजट अनुमान का 59.6 प्रतिशत रहा। जहां 2021-22 के पहले आठ महीनों में वर्ष 2020-21 की इसी अवधि की तुलना में कुल राजस्व व्यय में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं गैर ब्याज राजस्व व्यय में अप्रैल से नवंबर 2020 की तुलना में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पूजीगंत व्यय
चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से नवंबर 2021 में पूंजीगत व्यय में अप्रैल से नवंबर 2020 की तुलना में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस दौरान पूंजीगत व्यय का फोकस सड़कों, राजमार्गों, रेलवे और आवास तथा शहरी मामलों जैसे बुनियादी ढा़ंचा क्षेत्रों की ओर रहा। यह वृद्धि विशेष रूप से पिछले वर्ष दर्ज किए गए पूंजीगत व्यय को देखते हुए काफी अधिक है। इसके अलावा केंद्र ने राज्यों द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन भी दिए हैं।
नई सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान नीति और संपत्ति मुद्रीकरण रणनीति
सरकार द्वारा पेश नई सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान नीति और संपत्ति मुद्रीकरण रणनीति सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के निजीकरण और रणनीतिक विनिवेश के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराती है। इस संदर्भ में एयर इंडिया का निजीकरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और यह सिर्फ विनिवेश से प्राप्त संपत्ति की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह निजीकरण अभियान को भी बढ़ावा देती है।