बद्री गाय को बचाने के लिए देशभर से संतों ने भरी हुंकार, डा कमल टावरी बोले-गांव-गांव चलाया जाएगा जागरूकता अभियान

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

देहरादून : पहाड़ की कामधेनु बद्री गाय के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए आन लाईन वेबिनार में संत और विद्वत जनों ने अपने-अपने विचार रखे। इस दौरान वक्ताओं ने बद्री गाय पालन के प्रति पशुपालकों में मोह कम होने पर चिंता व्यक्त की गई। कहा गया कि गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। निर्णय लिया गया कि आन लाईन सम्मेलन को आगे भी बढ़ाया जाएगा।

अ- सरकारी असरकारी स्वाभिमानी आंदोलन के संयोजक और पूर्व केंद्रीय सचिव स्वामी कमलानंद (डा कमल टावरी) ने कहा कि बद्री नस्ल की गाय के दूध में औषधीय गुणों की भरमार है। कहा कि उत्तराखण्ड के पशुपालको को इस नस्ल की गाय को अधिक से अधिक पालने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कहा कि देश के सभी सत-महात्माओं को अपने क्षेत्र के एक-एक गांव में गौ रक्षा अभियान शुरू करना चाहिए गाय को बचाने के लिए गौ उत्पादों का निर्माण और उसकी मार्केटिंग का प्रशिक्षण लेना होगा उत्तरखण्ड को विश्वगुरु बनाने के लिए सभी को आगे आना होगा। कहा कि जल्द ही इस संबंध में एक घोषणा पत्र तैयार किया जाएगा।

महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान स्वरूपानंद महाराज और श्रीमहंत स्वामी गोपालनंद महाराज ने कहा कि बद्री गाय के संरक्षण के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। कहा कि बद्री गाय संरक्षण के लिए एक अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। गौमाता को राष्ट्रीय धरोहर का सम्मान मिलना चाहिए।

श्रीमहंत स्वामी संदीप दास महाराज ने गोचर भूमि से कब्जे खाली करवाने की माग की। कहा कि गुर्जर लोग पहाड़ से अपने पशुओं को वापस मैदान में ले जाते समय साथ में निराश्रित गोवंश को ले जाते है। इस पर पर रोक लगाए जाने की जरूरत है। वक्ताओं ने कहा कि वन भूमि में गायों को चरने की छूट मिलनी चाहिए। पुराना दरबार के ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने बद्री गाय के संरक्षण के लिए पंचगव्य से विभिन्न उत्पाद बनाने की बात कही। कहा कि इन उत्पादों से स्वरोजगार के नए साधन खुल सकते हैं। पंडित अनुसूया प्रसाद उनियाल ने कहा कि पंचगव्य से असाध्य बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। बताया कि स्वयं कई लोगों का इसके जरिए उपचार कर रहे है।

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